क्यूँ देश जल रहा दंगों के आग मे
फिर किसने लिख दी नफरत के कलम से
ये विध्वंस राष्ट्र के भाग मे
क्यूँ मरने मारने की खबर आती है
क्यूँ धर्म पे बात विवाद हो रहे हैं पैनलों मे
क्यूँ नफरत के बीज़ बोते सुनायी देते हैं
कुछ हुक्मरान टीवी चैनलों मे
क्या देश अपने भाई चारे का
अस्तित्व खोकर रह गया
जो कल तक था सभी धर्मों का देश
अब चंद लोगों का बन कर रह गया
वो हिन्दू मुश्लिम करके अपना
वोट बैंक तगड़ा कर रहे
ये ना समझ उनकी बातों मे आकर
आपस मे झगड़ा कर रहे
पढ़े लिखे होकर भी सभी
जाहिल सी हरकत करते हैं
खुद के सोच का गला घोंट कर
जमूरे सी करतब करते हैं
सिर्फ दंगों से ना देश जला रहा
तुम्हारा भविष्य भी है जल रहा
वो तुमको सीढ़ी बनाकर आगे बढ़ने वाला
तुमको खाक की धूल सा कुचल रहा
अब तो जागो मेरे देश की जनता
कुछ अपनी बुद्धि का भी प्रयोग करो
छोड़ो आपस की रंजिशें और
देश के विकास मे सहयोग करो