Tuesday, March 5, 2024

अब सीता की बारी है...


 कहाँ त्रेता द्वापर के बंधन मे

बंधने वाली ये नारी है

कल युद्ध लड़ा था श्रीराम ने

अब सीता की बारी है

हर युग मे प्रभु नहीं आयेंगे 

त्रिया स्वाभिमान बचाने को 

बनो सुदृढ़ कर लो बाजुओं को सख्त

तैयार रहो हथियार उठाने को

तुमको ही करनी है फतह 

लंका और कुरुक्षेत्र भी

मौन ही रहने दो बनकर धृतराष्ट्र समाज को

कितने जन्म लेंगे त्रि नेत्र भी

न कोई रावण न कोई दुशासन

टिक पाएगा तेरे प्रहार से

कब तक विनय करके मांगेगी

हक जड़ अधिकाय संसार से

हाथ बढ़े जो चीर हरण को

या सतित्व को ठेस पहुंचाने को

बन काली भर अग्नि हुंकार

रक्त रंजित नेत्र काफी है भू पटल हिलाने को