Sunday, June 19, 2022

पापा


 माँ जग की जननी है तो पापा पालनहार हैं

इस दुनियां मे रब का देखो वो दूजा अवतार हैं


दिन की तपिश मे है तपते रातों की नींद गंवाई है

हर कदम सिखाया चलना मुझमे उनकी परछाई है


बिन पापा अस्तित्व मेरा भी सच है मिट ही जाता

दुनियां की इस भीड़ मे अक्सर मेरा मन भी घबराता


लेकिन मेरे अकेलेपन मे साथ खड़े वो होते हैं 

अपने आराम को गिरवी रखकर वो मेरे सपने संजोते हैं 


पंख बने वो मेरे और मुझको सपनों का आसमान दिया 

पापा ही है जिन्होंने हमको खुशियों का जहान दिया 


रब से मुझको शिकवा नहीं बिन माँगे सबकुछ पाया है

शुक्रिया उस रब का जो इस घर मे मुझे जन्माया है


खुद लिए अब कुछ और मांगू इतना भी खुद गर्ज नहीं

माँ पापा रहे सदा सलामत इससे ज्यादा कुछ अर्ज़ नहीं



Thursday, June 9, 2022

बगावत की लहर.....


 क्यूँ बगावती तेवर हैं लोगों के

क्यूँ देश जल रहा दंगों के आग मे

फिर किसने लिख दी नफरत के कलम से

ये विध्वंस राष्ट्र के भाग मे


क्यूँ मरने मारने की खबर आती है 

क्यूँ धर्म पे बात विवाद हो रहे हैं पैनलों मे

क्यूँ नफरत के बीज़ बोते सुनायी देते हैं 

कुछ हुक्मरान टीवी चैनलों मे


क्या देश अपने भाई चारे का

अस्तित्व खोकर रह गया

जो कल तक था सभी धर्मों का देश

अब चंद लोगों का बन कर रह गया


वो हिन्दू मुश्लिम करके अपना

वोट बैंक तगड़ा कर रहे

ये ना समझ उनकी बातों मे आकर

आपस मे झगड़ा कर रहे


पढ़े लिखे होकर भी सभी

जाहिल सी हरकत करते हैं

खुद के सोच का गला घोंट कर

जमूरे सी करतब करते हैं


सिर्फ दंगों से ना देश जला रहा 

तुम्हारा भविष्य भी है जल रहा

वो तुमको सीढ़ी बनाकर आगे बढ़ने वाला 

तुमको खाक की धूल सा कुचल रहा


अब तो जागो मेरे देश की जनता

कुछ अपनी बुद्धि का भी प्रयोग करो

छोड़ो आपस की रंजिशें और

देश के विकास मे सहयोग करो