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Sunday, August 15, 2021

ये देश रहना चाहिए

जब तक गंगा यमुना मे जल है
जब तक हवा मे शीतल है
जब तक चिडियों की कलकल है
हर नस मे देशप्रेम बहना चाहिए
मैं रहूं या ना रहूं ये देश रहना चाहिए

जब तक बाजुओं मे बल है
जब तक सांसो मे हलचल है
जब तक अंतर्मन मे दंगल है
ना जुर्म कोई सहना चाहिए
मैं रहूं या ना रहूं ये देश रहना चाहिए

जब तक धरती पे जंगल है
जब तक सूर्य चंद्र और मंगल है
जब तक खेत किसान और हल है
दुश्मन का हर गुरूर ढहना चाहिए
मैं रहूं या ना रहूं ये देश रहना चाहिए

जब तक सरहद मे सेना दल है 
जब तक कांटे और कमल है 
जब तक विश्वास अटल है 
बस जय हिंद कहना चाहिए 
मैं रहूं या ना रहूं ये देश रहना चाहिए 

जब तक राग द्वेष ना मन मे छल है 
जब तक विचार निर्मल है 
जब तक धरा मे भू पटल है 
बस देशप्रेम ही गहना चाहिए 
मैं रहूं या ना रहूं ये देश रहना चाहिए 
                         Kumar Harris 

Tuesday, March 23, 2021

"अमर सपूत"

*शहीद भगत सिंह एवं सभी अमर शहीदों के माँ के अंतिम शब्दों को बयां करके की कोशिश की है कृपया कुछ गलतियां हो गई हों तो माफ़ कीजिएगा*

ऐ धरती के अमर सपूत
तुझ बिन आँखे पथराई हैं
तू मातृभूमि पे हुआ निसार
असहनीय तेरी जुदाई है

परमवीर और अदम्य साहसी
तू सच्चा मातृभूमि का रखवाला था
माना जननी जन्मभूमि है सबसे पहले 
नौ माह मैंने भी तुझे पाला था

एक माँ की रक्षा के खातिर
एक माँ का सूना संसार किया
झूल गया हँसकर फंदे से
शोकाकुल अपना घर बार किया

एक वो दिन था जब आस सदा
आने की तेरी रहती थी
मिल के फिर तुझको सहलाऊँगी
इस आस मे दूरी सहती थी

अब गया तू ऐसे छोड़ मुझे
शायद कभी ना मिल पाऊँगी 
कल तक मेरा "बेटा" था तू 
अब "माँ" मैं तेरी कहलाऊँगी 

पहचान मुझे दे गया नई 
तू होकर अमर इतिहास मे 
धन्य मेरी कर गया कोख को 
सदा अमर रहेगा तू जनमानस के एहसास मे |
                                             *जय हिंद*
                                                   (हैरी)