क्यूँ सारे सपने धूमिल हो रहे
क्यूँ हवा का रुख बदल रहा है
फिर क्यूँ बारिश मे यादें उमड़ रहीं हैं
मैं तुम्हें एक दिन बताऊंगा
क्यूँ आसमाँ में घनघोर घटा छा जाती हैं
क्यूँ एक झोंका हवा का यादों को उड़ा देती है
फिर क्यों आती हैं आंसुओ की धारा
मैं तुम्हें एक दिन बताऊंगा
क्यूँ गुज़रे लम्हों की हर एक यादें
एक तेज छुरी सी चमकती है
फिर क्यूँ प्रणय मिलन से डरता है मन
मैं तुम्हें किसी रोज बताऊंगा
क्यूँ मद्धम मद्धम बढ़ता वेग वर्षा का
क्यूँ हर बूंद एक दर्द छोड़ती है
फिर क्यूँ घटा बरसती आँखों से
मैं तुम्हें किसी दिन बताऊंगा
क्यूँ आसमान में उठ रही अंगडाई
क्यूँ कोई भ्रम सा साथ होता है
फिर क्यूँ पागलों सी हालत है मेरी
मैं तुमको एक दिन बताऊंगा
काली घटाओं की गर्जन
और बारिश के बाद का सन्नाटा
चिंतित मन के हालात भी
मैं तुमको एक दिन बताऊँगा
तन्हा रातों का सबब और
हंसता चेहरा आंसू दर्द
सपने और हकीकत भी
मैं तुमको एक दिन दिखाऊंगा|
(Harry)