Showing posts with label वन और जीवन. Show all posts
Showing posts with label वन और जीवन. Show all posts

Sunday, January 14, 2024

हुताशन के हवाले अरण्य..


               करके हुताशन के हवाले अरण्य को

निर्झरणी के तलाश मे जाता मनुज है

पवन जलधर को कर वेग प्रवाहित

उम्मीद की रश्मि को अम्बर ले जाता है


वसुधा तरस रहीं सलिल बिन

पुरंदर से लगाए आस है मधुपति भी

वाटिका, सरोज, प्रसून और तरिणी

चक्षु जोह रहे हैं पयोधर के


अंबिका को ही बनकर भुजंग

नर अनल के विशिख छोड़ रहा

महि चपला सी चंचलित होकर

सारे सब्र के बाँध को तोड़ रहीं


प्रलय को जन्म दे रहे फिर

देवनदी, कालिंदी, सरिता और रत्नाकर

भयभीत सभी हैं आभास से विनाश के

थर थर काँप रहे हैं अडिग भूधर


नतमस्तक होकर साष्टांग दण्डवत

कर जोड़े ग़र याचक बनकर

अब भी तरु अंकुरित हो सकते हैं

भव सब विष हर लेंगे फिर से रक्षक बनकर ||