प्रभु तेरा गुणगान कर सकूँ
इस काबिल जिसने बनाया है
मेरे अज्ञानरूपी अंधकार में
ज्ञान का दीपक जलाया है|
उन गुरुओं के चरणों मे सदा
शीश अपना झुकाया है
प्रभु तेरे इस दिव्य स्वरुप को
आखर -आखर से सजाया है|
जिसने ज्ञान की जोत जलायी
जिसने अक्षर की पहचान दिया
गुरु के ज्ञान से होकर काबिल
सबको जग ने सम्मान दिया|
उस गुरु का मान रख सकें
प्रभु इतना वरदान देना
हम भी गुरु पग चिह्न पर चले
हमको सन्मार्ग की पहचान देना|
मेरे गुरु तारणहार है मेरे
मेरे पहले भगवान भी
हे गुरुवर! तुम ज्ञाता हो जग के
प्रभु तुल्य इंसान भी|
महिमा तुम्हारी वर्णन कर सकूँ
मुझमे इतना ज्ञान नहीं
वह मंदिर भी श्मशान सा मेरे लिए
जहां गुरुओं का सम्मान नहीं|
शब्द नहीं उचित उपमा को
अब कलम को देता विराम हूँ
गुरुवर आप अजर अमर रहें
चरणों मे करता प्रणाम हूँ
चरणों में करता प्रणाम हूँ||
गुरु का सम्मान केवल एक दिन का उत्सव नहीं, बल्कि जीवनभर की साधना है।
जिस समाज में गुरु का आदर नहीं, वहां शिक्षा का प्रकाश कभी स्थायी नहीं हो सकता।
आइए, इस शिक्षक दिवस पर हम प्रण करें कि गुरुजनों का सम्मान केवल शब्दों में नहीं, बल्कि अपने आचरण और कर्मों से करेंगे।
💬 आपके जीवन में किस गुरु ने सबसे गहरा प्रभाव डाला? कृपया नीचे कमेंट में साझा करें।
शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं