अब तो अनुकंपा कर दो भगवान
मन को कर दो स्थिर
मस्तिष्क मे भर दो ज्ञान
हार चुका हूँ हालातों से
पाना चाहा है सम्मान
अब तो अनुकंपा कर दो भगवान..
सोचा था कुछ कर पाऊँगा
जीवन खुशियों से भर पाऊँगा
स्मरण प्रतिक्षण तेरा मन मे
किया तेरा ही गुणगान
दे ज्ञानपुंज मिटा अज्ञान
अब तो अनुकंपा कर दो भगवान...
उठ न जाय विश्वास तुझसे
खत्म न हो आस्था है मेरी
जग को सुनाओ तो हंसता है मुझे पे
अब तू भी न सुनेगा क्या व्यथा मेरी
चंद खुशी के पल दो वरदान
अब तो अनुकंपा कर दो भगवान...
पथ प्रदर्शक है जग का तू तो
रहा फिर क्यूँ मुझसे अंजान
शरण मे अपनी मुझको भी ले लो
शांत कर मेरे मन का तूफान
अब तो अनुकंपा कर दो भगवान
अब तो अनुकंपा कर दो भगवान |