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Wednesday, February 21, 2024

पर चूहे से भी डरती है..


 हवा से दोस्ती है उसकी

कलियों से बातेँ करती है

शेरनी सी छवि रखती है वो

पर, चूहे से भी डरती है


वाचाल है सबकुछ उगल देती

बातों को मन मे न रख पाती है

खुद ही खुद की खिल्ली उड़ाती

और जी भरकर हंस भी जाती है


अभी तो दुनियां देखी ही है

तजुर्बा फिर भी तमाम है

परिपूर्ण के करीब है अपने कार्यो मे

फिर भी बातों से लगती नादां है


जुड़ रहा उसकी जिंदगी मे

एक नया अध्याय है

वो परेशानी मे भी हँसा देती सबको

वो खुशियों की पर्याय है


खुशियाँ मिले तमाम उसको

घर परिवार मे भी खुशहाली हो

सपने उसके हो सब पूरे

वो परिवार की अंशुमाली हो ||