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Tuesday, November 16, 2021

हाँ मैं एक पुरुष हूँ...



हाँ मैं एक पुरुष हूं

और पुरुषवादी भी, मगर त्रिया विरोधी कभी नहीं 


बहुत स्वाभिमानी भी हूँ 

मगर नारी का अपमान हो ये सोचता भी नहीं 


स्त्री पुरुष तो हमसफ़र हैं जिंदगी के 

एक दूसरे के खिलाफ कभी भी नहीं 


अगर समझदारी और सम्मान हो रिश्ते मे तो 

शक और विद्रोह की जगह कहीं नहीं 


अगर मिलजुल कर करे सफर का आगाज 

तो रोक सके राह ऐसी दीवार दुनियां मे बनी ही नहीं 


नर हो या नारी दोनों परमब्रह्म की संताने है 

हो ईश्वर की संतानो मे भेदभाव कभी भी नहीं 


हाँ मैं एक पुरुष हूं 

मगर स्त्री विरोधी कभी भी नहीं 

                                      (हैरी) 









Thursday, October 21, 2021

इंसानियत की हत्या..



अभी अभी कुछ क्षण पहले भगवन

एक खिलती कली मुरझाई है 


मां ने जिसे तैयार कर

सुंदर बैग और रिबन से चोटी बनाकर 

हंसती खेलती भेजा था स्कूल

जो दोबारा लौटकर आ ना सकीं घर 


 साथियों से हाथ छुड़ाकर 

 बस चंद कदमों के फासले मे 

 ऐसी पडी नजर शैतान की 

 मूर्छित पडी दरिंदगी का शिकार हो कर 


भगवान, यह आपका न्याय नहीं है

तुझसे भी लाखों शिकवे हैं 

किसी घर की अमर रोशनी 

बुझ गई ये तो सही नहीं है 


तुम तो जग के रक्षक हो 

क्यूँ लाज बचाने नहीं आए

सिर्फ युग परिवर्तन से क्षीण हो गई शक्ति 

तुम्हीं महाकाल के समकक्षक हो 



 ज्ञान के द्वार से लौट रहीं थीं 

 कागज़ और कलम लिए हाथ मे 

 पलक झपकते ही दुनियां वीरान हो गई 

 घर मे जिसकी माँ बाट जोह रहीं थीं 


 आइए कुछ क्षण शोक करें

 चलो फिर से कुछ मोमबत्तियाँ जलाये 

 हुक्मरान फिर झूठा दिलासा देंगे 

फिर से मानवता वाला ढोंग करें 


 आंखों के सागर सूख गए 

 लोग बहुत रोये हैं आज 

 रोते हुए जिस्म बहुत देखे थे 

 आज रूह भी अश्कों मे डूब गए 


बेबस मां बाप मर गए जीते जी 

जब कानून अंधा और गूंगा हो गया 

बेहसी ने ऐसा हस्र किया था 

कोई कफन भी अलग न कर सके 


 इंसानियत के दिल पर चाकू

सदी की सबसे बुरी खबर

सबसे काला दिन इतिहास का 

सदियों तक भूला ना जाएगा 


 किसी भी बलात्कारी को मत छोड़ो

 दुनियां से निष्कासन करो 

 हे ईश्वर अब खुद नीचे आकर 

 अत्याचारियों का अंत करो|