तुम राम बनो रहीम बनो,
इस देश के महामहिम बनो
और तोल सके जो धर्म-अधर्म को,
तुम वो आधुनिक मशीन बनो...
सत्ता का तुम को गर्व ना हो,
ना सिर्फ जीत की अभिलाषा हो
तुमसे भय हो हर सशक्त को
पर तुमसे हर गरीब को आशा हो
तेरे बल से तू जग को जीते
पर कर्म परायण हो युधिष्ठिर जैसा
जब बात न्याय धर्म की आये
निर्णय में अपना पराया कैसा
जैसे भेद न करता सूर्य
राजा और रंक मे
जैसे शीतलता देने की है प्रकृति
कोशों मील धूम रहे मयंक मे
तू भी अपना धर्म निभाना
वजह झगड़े की जड़, जोरु या जमीन हो
तुम हो प्रधान सेवक जनमानस के
चाहे ओहदे से महामहिम हो ||
जय हिन्द।