दिखते है मुझे इंसान मे
अब भी साजिश में शामिल गोडसे,
कुछ अब भी शामिल गाँधी की हिंसा मे
कुछ के ईश्वर हैं बापू,
कुछ गोडसे को सलामी देते हैं
ये मिली जुली सी फितरत लोगों की,
दोनों को बदनामी देते हैं
ना गांधी ने कोई अनर्थ किया था,
ना गोडसे ने कद्दू मे तीर चलाया था
एक था अपनों के विश्वासघात का मारा,
एक को अपनों ने बरगलाया था
एक नाम विश्व पटल पे था
एक का अपना ही संसार था
एक हिन्दू मुस्लिम मे भेद समझता,
एक का पूरा अपना परिवार था
अब कौन सही था कौन गलत
कोई कहता हिन्दू मुस्लिम हैं दुश्मन
कोई कहता भाई भाई हैं
गांधी ने मझधार मे छोड़कर
देश का बंटवारा होने दिया
गोडसे की गोली ने धधकती ज्वाला को
सुषुप्त अवस्था मे ही सोने दिया
अब किसके पक्ष मे खड़ा रहूं मैं
किसके खिलाफ कहूँ जंग है
अंतरात्मा तभी है कहती मेरी
अब भी लहू के दो रंग हैं