क्या उखाड़ लिया गठन करके
एक नए राज्य उत्तरांचल का
जिसका आज तो है ही डूबा
ना कुछ अच्छी आस है कल का
लाखों के बलिदान का था परिणाम
ढेरों सपने भी सजाये थे
माताओं ने भी डंडे खाए थे
धूल मे मिला दी कुर्बानी
हर दिल मे ये गुबार है
हर उत्तराखंड के क्रांतिकारी का
हम सब पे ये उधार है
क्या क्या सपने देखे थे उन सब ने
क्या इस राज्य का हाल हुआ है
यू. पी. मे थे तो कुछ तो अस्तित्व था
अब अलग हुए तो बेहाल हुआ है
थे सपने नए राज्य मे
नयी उन्नति नए कारोबार होगा
हर हाथ होगा समृद्ध और
ना कोई बेरोजगार होगा
आज स्थिति ऐसी हो गई
हम पहले से भी पीछे हैं
उड़ान भरने को नए पंख दिए थे
सरकारों ने हाथ भी पीछे खींचे हैं
हर युवा बेरोजगार बैठा है
हर गरीब तरसता है निवाले को
हर धाम ताकता है पुनर्निर्माण को
हुक्मरान पूजते है प्याले को
अब किससे क्या उम्मीद करें
किससे अब हम मतभेद करे
खुशियां मनाए इस हाल पे राज्य के
या अलग होने पे खेद करें.....?
(हैरी)