जब तेरे ख्वाब भी बिखरेंगे तब याद करोगे तुम मुझे
कभी चलते चलते ग़र तेरा दुपट्टा सरकेगा कांधे से
जब खुद उठाओगे दुपट्टे को तब याद करोगे तुम मुझे
कैसे सड़क के पगडंडी पे तुमको खतरों से बचाता था
जब गुजरेगी छूकर बाइक कोई तब याद करोगे तुम मुझे
जब आंसुओं का नमकीन स्वाद होंठों को तेरे भिगोयेगा
जब होगी दर्द की इन्तहा तब याद करोगे तुम मुझे
कैसे सहा है तड़प मैंने जला के खुद के सपनों को
जब ख्वाब तेरा कोई टुटेगा तब याद करोगे तुम मुझे
गली के आखिरी टपरी पे जहां कटिंग चाय की बांटी थी
जब आएगी खुशबु कुल्हड़ की तब याद करोगे तुम मुझे
वो तेरे बिन कहे लफ़्ज़ों के मायने समझ जाता था मैं
जब अनसुने होंगे शब्द भी तेरे तब याद करोगे तुम मुझे
बे वजह छोड़ा था तुमने मुझे देख मेरी मुफ़लिसी को
जब पैसा होगा पर प्यार नहीं तब याद करोगे तुम मुझे
तुम जानते हो है मुझको पसंद वो भीनी खुशबु मेहंदी की
जब भी लगेगी हाथो मे तब याद करोगे तुम मुझे.....