माँ जग की जननी है तो पापा पालनहार हैं
इस दुनियां मे रब का देखो वो दूजा अवतार हैं
दिन की तपिश मे है तपते रातों की नींद गंवाई है
हर कदम सिखाया चलना मुझमे उनकी परछाई है
बिन पापा अस्तित्व मेरा भी सच है मिट ही जाता
दुनियां की इस भीड़ मे अक्सर मेरा मन भी घबराता
लेकिन मेरे अकेलेपन मे साथ खड़े वो होते हैं
अपने आराम को गिरवी रखकर वो मेरे सपने संजोते हैं
पंख बने वो मेरे और मुझको सपनों का आसमान दिया
पापा ही है जिन्होंने हमको खुशियों का जहान दिया
रब से मुझको शिकवा नहीं बिन माँगे सबकुछ पाया है
शुक्रिया उस रब का जो इस घर मे मुझे जन्माया है
खुद लिए अब कुछ और मांगू इतना भी खुद गर्ज नहीं
माँ पापा रहे सदा सलामत इससे ज्यादा कुछ अर्ज़ नहीं