तुम 'दिनकर' की रश्मिरथी
तुम मिशन अंतरिक्ष की हो 'कल्पना'
तुम 'त्रिकाल' की हो 'सती'
तुम बलिदान हो 'पन्नाधाई' का
तुम अहिल्या का 'अभिशाप' हो
तुझमे हट है 'सावित्री' सा
तुम 'लता' के मधुर 'आलाप' हो
तुम विश्व पटल पर छायी 'इंदिरा'
तुम सुखोई उड़ाती एक नारी हो
तुम रौद्र रूप हो काली का और
तुम कलियों से भी प्यारी हो
तुम दंगल की 'गीता' 'बबीता'
तुम स्वर्ण पदक विजेता 'हिमा दास' हो
तुझमे फूलों सी अभिलाषा
ना जाने क्यू फिर भी उदास हो
तुम ज्ञान विज्ञान मे हो अग्रणी
तुम सरहद पे परचम लहराना भी जानती हो
तुम कहीं सिहासन पे हो विराजित
कहीं धूल मे खाक भी छानती हो
तेरा हर पहलू को समझे
किसी प्राणी मात्र मे इतना ना ज्ञान है
स्त्री तुझे शत शत नमन और
तेरे हर रूप को मेरा प्रणाम है
................ (हैरी)
Very nice thought
ReplyDeletethank you so much.
Deleteबहुत सुन्दर अभिअव्यक्ति।
ReplyDeletethank you so much sir
Deleteबधाई और शुभकामनाएं चिट्ठों की दुनियां में कदम रखने के लिये। लगातार लिखते रहो। अन्य चिट्ठों का भी अनुसरण करो। लोगों का लिखा पढ़ो टिप्पणी देकर उत्साहित भी करो। हैप्पी ब्लोगिंग।
ReplyDeletebahut bahut aabhar guruji. apni aashirbad aur sneh dete rahen. dhanyabaad
Deleteयूँ तो आपकी बेहतरीन कविताओं में से एक इस कविता की हर पंक्ति बहुत अच्छी है...पर अंतिम पंक्ति ने मेरा विशेष ध्यानाकर्षण किया। "तेरे हर रूप को मेरा प्रणाम है" 👌👌💞 यह एक पंक्ति उन सभी महिलाओं के अनुपस्थिति की पूरक है, जिनका उदाहरण कविता में अप्रस्तुत है। 'पहाड़ी पट्टा' लेखन के शुभारंभ के लिए बधाई और शुभकामनाएँ💐💐 आपकी प्रत्येक रचना पिछली रचना से बेहतरीन हो...
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका... यूँही मार्ग दर्शन करते रहें धन्यवाद
ReplyDeleteसधन्यवाद
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना आज सोमवार 8 मार्च 2021 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी सादर आमंत्रित हैं आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteतेरा हर पहलू को समझे
ReplyDeleteकिसी प्राणी मात्र मे इतना ना ज्ञान है
स्त्री तुझे शत शत नमन और
तेरे हर रूप को मेरा प्रणाम है
सच ज्ञान हो जाय तो भेदभाव खत्म हो जाएगा
बहुत सुन्दर सामयिक चिंतनशील रचना
बहुत-बहुत धन्यवाद... 🙏
ReplyDeleteबहुत सुंदर सम्मान दिया है आपने स्त्री शक्ति को ..शानदार ..मेरे ब्लॉग पर अवश्य पधारें..
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यावाद.. जल्दी ही आपके ब्लॉग पे भी आयेंगे
Deleteनारी शक्ति को ससम्मान नमन करती रचना के लिए कोटि आभार हरीश जी | ब्लॉग जगत में आपका हार्दिक अभिनन्दन है
ReplyDeleteमेरी इस रचना को अपने इस अंक मे स्थान देने के लिए तहेदिल से शुक्रिया
ReplyDeleteनारी का सम्मान करती बहुत ही सुंदर रचना। 'पहाड़ी पट्टा' ब्लॉग लेखन के शुभारंभ के लिए बधाई और शुभकामनाएँ💐💐
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteदिनकर की रश्मिरथी से क्या तात्पर्य है ? रश्मिरथी तो कर्ण के लिए है ।
स्पष्ट करेंगे तो आभार होगा ।
रश्मिरथी दिनकर जी की अति लोकप्रिय रचना मे से एक है जिसकी लोकप्रियता का कोई सानी नहीं है इसलिए मैंने इस शब्द का प्रयोग किया है... बाकी कोई दूसरा उद्देश्य नहीं है... स्त्री के पर्याय के लिए उचित लगा मुझे 🙏
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सामयिक चिंतनशील रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार 🙏
ReplyDeleteBht sundr ♥️
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteआभार
ReplyDeleteBahut khub kavi ji
ReplyDeleteThank you
ReplyDeleteVery nice lines
ReplyDeleteBeautiful Lines
ReplyDeleteशुक्रिया
DeleteBahut achcha likha hai....
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