Sunday, June 19, 2022

पापा


 माँ जग की जननी है तो पापा पालनहार हैं

इस दुनियां मे रब का देखो वो दूजा अवतार हैं


दिन की तपिश मे है तपते रातों की नींद गंवाई है

हर कदम सिखाया चलना मुझमे उनकी परछाई है


बिन पापा अस्तित्व मेरा भी सच है मिट ही जाता

दुनियां की इस भीड़ मे अक्सर मेरा मन भी घबराता


लेकिन मेरे अकेलेपन मे साथ खड़े वो होते हैं 

अपने आराम को गिरवी रखकर वो मेरे सपने संजोते हैं 


पंख बने वो मेरे और मुझको सपनों का आसमान दिया 

पापा ही है जिन्होंने हमको खुशियों का जहान दिया 


रब से मुझको शिकवा नहीं बिन माँगे सबकुछ पाया है

शुक्रिया उस रब का जो इस घर मे मुझे जन्माया है


खुद लिए अब कुछ और मांगू इतना भी खुद गर्ज नहीं

माँ पापा रहे सदा सलामत इससे ज्यादा कुछ अर्ज़ नहीं



10 comments:

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    1. बहुत-बहुत आभार गुरुजी 🙏

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  2. खुद लिए अब कुछ और मांगू इतना भी खुद गर्ज नहीं
    माँ पापा रहे सदा सलामत इससे ज्यादा कुछ अर्ज़ नहीं
    बहुत सही बात है। ऐसे ही तो होने चाहिए बच्चे

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    1. बहुत-बहुत आभार श्रीमान 🙏

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  3. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(२०-०६-२०२२ ) को
    'पिता सबल आधार'(चर्चा अंक -४४६६)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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    1. आपका बहुत-बहुत आभार Mam 🙏

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  4. प्रिय हरीश,अपने स्नेही पिता के लिये ये स्नेहासिक्त शब्द मन को छू गये। ममता की प्रचंड अभिव्यक्ति के बीच कर्मयोगी से खड़े एकाकी पिता का त्याग और समर्पण अनकहा रह जाता है।एक भावभीनी रचना के लिए बधाई और शुभकामनाएं ।बहुत प्यारा फोटो संलग्न किया है आपने।ईश्वर से प्रार्थना है कि अपने स्नेही माता-पिता के साथ आपका नाता सदैव अटूट और यूँ ही प्रेम पगा रहे।ढेरों शुभकामनायें और स्नेह ♥️♥️🌺🌺💖💖🎀🎀🎍🎍🎊🎊🌹🌹🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈

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