Sunday, August 18, 2024

कलयुग मे कृष्ण ना आयेंगे.....



 इस वीभत्स कृत्य का कोई सार नहीं होगा

इससे बुरा शायद कोई व्यवहार नहीं होगा

तुम्हें मौत के घाट उतार दिया कुछ नीच शैतानों ने 

सिर्फ मोमबत्ती जलाने से तेरा उद्धार नहीं होगा |


अब जलाना होगा करके खड़ा उनको चौराहे पे 

जिसने लाकर खड़ा कर दिया इंसानियत को दोराहे पे 

अब धर्म जाति के नाम का कोई हथियार नहीं होगा 

जब जलते देखेंगे तो फिर कभी बलात्कार नहीं होगा |



सिर्फ भाषण से नारी शक्ति का सम्मान नहीं होता 

जो नोच खाए बोटी तलक वो इंसान नहीं होता 

कुछ ऐसा कर दो संशोधन जो बेकार नहीं होगा 

जिससे फिर किसी माँ बाप का आँगन बेजार नहीं होगा |


देवी की उपमा देते है फिर खुद ही दुशासन बन जाते हैं 

चीर हरण के रक्षक जब खुद ही चीर उड़ाते हैं 

ऐसे ही किसी देवी का शायद त्यौहार नहीं होगा 

बेटी! तुम खुद ही शस्त्र संभालो,

इस कलयुग मे कृष्ण का अवतार नहीं होगा

इस कलयुग मे कृष्ण का अवतार नहीं होगा ||

#justiceformoumita



31 comments:

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    1. बहुत बहुत आभार गुरुजी 🙏

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  2. एकदम सही,प्रेरक अभिव्यक्ति।
    सादर।
    -------
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना मंगलवार २० अगस्त २०२४ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  3. सटीक अभिव्यक्ति

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  4. बेटी! तुम खुद ही शस्त्र संभालो,
    इस कलयुग मे कृष्ण का अवतार नहीं होगा
    इस कलयुग मे कृष्ण का अवतार नहीं होगा ||
    ...सच यही है कि खुद ही शस्त्र उठाना होगा., कोई नहीं बचाने वाला,,,,,दुर्गा, लक्ष्मी, काली का रुप धारण करना होगा,,,
    .....बहुत प्रेरक सामयिक चिंतनशील रचना,,,,

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    1. बहुत बहुत आभार महोदया 🙏

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  5. ''जब जलते देखेंगे तो फिर कभी बलात्कार नहीं होगा''
    ...
    ''बेटी! तुम खुद ही शस्त्र संभालो''

    ///अब यही जरूरी है///

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  6. बहुत ही सशक्त विचार से परिपूर्ण रचना! आत्मरक्षा में ही समस्त स्त्री जाति का कल्याण निहित हैं। अब अवतार की कल्पना बेमानी है तो उद्धार कर्ता की प्रतीक्षा हास्यस्पद! एक सार्थक रचना के लिए बधाई हरीश जी। ये लेखनी चलती रहे!

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    1. बहुत बहुत आभार महोदया 🙏

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  7. बेहद दुखद घटना। सटीक विवरण।

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    1. हौसलाअफजाई के लिए बहुत बहुत आभार महोदय 🙏

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  8. अब जलाना होगा करके खड़ा उनको चौराहे पे

    जिसने लाकर खड़ा कर दिया इंसानियत को दोराहे पे
    सही मुजरिम हाथ आये और यही सजा दी जाए तब शायद कुछ भय हो इन नरपिशाचों के मन में...
    बहुत सटीक प्रेरक सशक्त रचना ।

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    1. लेखनी को प्रेरित करने के लिए शुक्रिया 🙏

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  9. एक आक्रोश जिसको धरती नहीं मिल पाती ... काश हथियार बन जाए ...

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  10. आपकी इस कविता में शब्द सिर्फ गुस्सा नहीं दिखा रहे, वो एक दर्द, एक असहायता भी उगल रहे हैं जो हम सब कभी न कभी महसूस करते हैं। मैं खुद कई बार सोचता हूँ, कब तक हम मोमबत्तियाँ जलाते रहेंगे? अब वक़्त आ गया है कि हम सख्त कानून और उससे भी सख्त लागू करने वाली सोच अपनाएं।

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  11. आपकी इस प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद 🙏

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