Tuesday, May 27, 2025

दुनिया जालिम है....


 

दुनिया ज़ालिम है —
ये कोई शायर की शेख़ी नहीं,
बल्कि रोज़ सुबह की ख़बर है,
जिसे अख़बार भी छापते-छापते थक चुका है।

यहां आँसू ट्रेंड नहीं करते,
दर्द को 'डिज़ाइन' किया जाता है,
और सच्चाई?
वो तो शायद किसी पुरानी किताब के पन्नों में
धूल फाँक रही है।

यहां रिश्ते
व्हाट्सऐप के आख़िरी देखे गए समय जितने सच्चे हैं,
और भरोसा —
पासवर्ड की तरह, हर महीने बदलता रहता है।

बच्चे सपनों में खिलौने नहीं,
रखते हैं नौकरी की चिंता,
और बूढ़े,
यादों की गर्मी में ज़िंदा रहने की कोशिश करते हैं।

दुनिया ज़ालिम है,
क्योंकि यहां सवाल पूछना गुनाह है,
और खामोशी —
इंसान की सबसे क़ीमती पूंजी।

पर फिर भी,
हम हर सुबह उठते हैं,
चेहरे पे उम्मीद का मास्क लगाते हैं,
और चल पड़ते हैं —
इस ज़ालिम दुनिया को थोड़ा बेहतर बनाने की कोशिश में।|


14 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 28 मई 2025को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
    अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।
    >>>>>>><<<<<<<

    ReplyDelete
    Replies
    1. मेरी इस रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत आभार आपका 🙏

      Delete
  2. Replies
    1. बहुत बहुत आभार गुरुजी 🙏

      Delete
  3. Awesome bhaiya ❤️❤️❤️❤️

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया 😍😍

      Delete
  4. Baccho ko ab khilone nahi job ki chinta hai💯💯💯💯💯

    ReplyDelete
  5. Behtareen panktiyan ... Keep it up 👍

    ReplyDelete
  6. ये चलना भी हमारा कर्म है ... आशा भी इसी से है ... चलने से है ...

    ReplyDelete