दुनिया ज़ालिम है —
ये कोई शायर की शेख़ी नहीं,
बल्कि रोज़ सुबह की ख़बर है,
जिसे अख़बार भी छापते-छापते थक चुका है।
यहां आँसू ट्रेंड नहीं करते,
दर्द को 'डिज़ाइन' किया जाता है,
और सच्चाई?
वो तो शायद किसी पुरानी किताब के पन्नों में
धूल फाँक रही है।
यहां रिश्ते
व्हाट्सऐप के आख़िरी देखे गए समय जितने सच्चे हैं,
और भरोसा —
पासवर्ड की तरह, हर महीने बदलता रहता है।
बच्चे सपनों में खिलौने नहीं,
रखते हैं नौकरी की चिंता,
और बूढ़े,
यादों की गर्मी में ज़िंदा रहने की कोशिश करते हैं।
दुनिया ज़ालिम है,
क्योंकि यहां सवाल पूछना गुनाह है,
और खामोशी —
इंसान की सबसे क़ीमती पूंजी।
पर फिर भी,
हम हर सुबह उठते हैं,
चेहरे पे उम्मीद का मास्क लगाते हैं,
और चल पड़ते हैं —
इस ज़ालिम दुनिया को थोड़ा बेहतर बनाने की कोशिश में।|
"कविता कोई पेशा नहीं है, यह जीवन का एक तरीका है। यह एक खाली टोकरी है; आप इसमें अपना जीवन लगाते हैं और उसमें से कुछ बनाते हैं।"
Tuesday, May 27, 2025
दुनिया जालिम है....
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इस वीभत्स कृत्य का कोई सार नहीं होगा इससे बुरा शायद कोई व्यवहार नहीं होगा तुम्हें मौत के घाट उतार दिया कुछ नीच शैतानों ने सिर्फ मोमबत्ती ...
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हया भी कोई चीज होती है अधोवस्त्र एक सीमा तक ही ठीक होती है संस्कार नहीं कहते तुम नुमाइश करो जिस्म की पूर्ण परिधान आद्य नहीं तहजीब होती है ...
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 28 मई 2025को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteअथ स्वागतम शुभ स्वागतम।
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मेरी इस रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत आभार आपका 🙏
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार गुरुजी 🙏
DeleteKhubsurat 💓
ReplyDeleteShukriya..... 😍
Deleteवाह।
ReplyDeleteशुक्रिया महोदय 🙏
Delete💯
ReplyDeleteAwesome bhaiya ❤️❤️❤️❤️
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया 😍😍
DeleteBaccho ko ab khilone nahi job ki chinta hai💯💯💯💯💯
ReplyDeleteBehtareen panktiyan ... Keep it up 👍
ReplyDeleteये चलना भी हमारा कर्म है ... आशा भी इसी से है ... चलने से है ...
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