Tuesday, February 22, 2022

आदमी क्या है...?


 आदमी क्या है 

जलता अंगारा...?

जो आसूं नहीं बहा सकता 

मगर जल सकता है राख होने तक

बिना ये कहे कि तकलीफ में हूं।


आदमी क्या है 

जिनी चिराग...? 

जिसका कोई निज स्वार्थ नहीं 

मगर आजीवन घिसता रहता है 

सिर्फ अपनों की खुशियों के खातिर  


आदमी क्या है 

जांबाज सिपाही...? 

कायरता पे जिसका अधिकार नहीं 

हर हाल मे उसको लड़ना है 

कभी अपनों से कभी हालातों से 


आदमी क्या है 

संयोजक कड़ी...? 

उतार चड़ाव भरी इस जिंदगी मे 

सब कुछ जोड़ के चलता है 

दो जून की रोटी के खातिर


आदमी क्या है

टिमटिमाता जुगनू...? 

प्रकाश और अन्धकार के बीच 

उम्मीद की एक किरण जैसा 

जो सबको हौसला देता है 


आदमी क्या है 

बनावटी साँचा...? 

जो अपने गुस्से या प्रेम को 

बिना जाहिर किए हुए 

हर उम्मीद पे खरा उतरे


आदमी क्या है 

मूक दर्शक...? 

जो आवाज उठाना तो चाहता हो 

मगर अपनों को दलदल मे फंसता देख 

मौन धारण कर लेता है 


आदमी क्या है 

टूटी पगडंडी...? 

जिसका जर्रा जर्रा बिखर गया 

रिश्ते निभाते निभाते 

मगर लौटकर कोई आया नहीं 


आदमी क्या है 

ढलती शाम...? 

जिसने उगते सूरज का तेज भी देखा है 

भोर की लालिमा मे नहाया है 

मगर अब अंधेरे से मिलने को है 




13 comments:

  1. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 23 फरवरी 2022 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. दिल को छूती हुई बहुत ही भावपूर्ण रचना!

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  3. वाकई आदमी यह सब कुछ है और इससे भी कहीं ज्यादा है, आदमी वह है जो चाहे तो जन्नत को जमीं पर ला सकता है और चाहे तो जहन्नुम को

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  4. इंसान को परिभाषित करती सुंदर उत्कृष्ट रचना ।

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  5. मानव जीवन को सृष्टि पर सबसे भाग्यशाली माना जाता है।पर इसकी अदृश्य विसंगतियां इस अनमोल जीवन को अक्सर विद्रूपता से भर देती हैं।इन्ही विवशताओं को सार्थकता से अंकित किया है आपने प्रिय हरीश।

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  6. आदमी क्या है
    जांबाज सिपाही...?
    कायरता पे जिसका अधिकार नहीं
    हर हाल मे उसको लड़ना है
    कभी अपनों से कभी हालातों से //
    आज के समय में सबसे ज्यादा शामत सैनिक नाम के मनुष्य की आई है ऊ

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