*शहीद भगत सिंह एवं सभी अमर शहीदों के माँ के अंतिम शब्दों को बयां करके की कोशिश की है कृपया कुछ गलतियां हो गई हों तो माफ़ कीजिएगा*
तुझ बिन आँखे पथराई हैं
तू मातृभूमि पे हुआ निसार
असहनीय तेरी जुदाई है
परमवीर और अदम्य साहसी
तू सच्चा मातृभूमि का रखवाला था
माना जननी जन्मभूमि है सबसे पहले
नौ माह मैंने भी तुझे पाला था
एक माँ की रक्षा के खातिर
एक माँ का सूना संसार किया
झूल गया हँसकर फंदे से
शोकाकुल अपना घर बार किया
एक वो दिन था जब आस सदा
आने की तेरी रहती थी
मिल के फिर तुझको सहलाऊँगी
इस आस मे दूरी सहती थी
अब गया तू ऐसे छोड़ मुझे
शायद कभी ना मिल पाऊँगी
कल तक मेरा "बेटा" था तू
अब "माँ" मैं तेरी कहलाऊँगी
पहचान मुझे दे गया नई
तू होकर अमर इतिहास मे
धन्य मेरी कर गया कोख को
सदा अमर रहेगा तू जनमानस के एहसास मे |
*जय हिंद*
Heart touching poetry����
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteऐ धरती के अमर सपूत
ReplyDeleteतुझ बिन आँखे पथराई हैं
तू मातृभूमि पे हुआ निसार
असहनीय तेरी जुदाई है
हृदयस्पर्शी सृजन ।शहीद भगत सिंह एवं सभी अमर शहीदों को शत शत नमन ।
बहुत बहुत आभार
DeleteKeep writing 💗💗
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ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 24 मार्च 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत बहुत आभार आपका
Deleteसुन्दर सृजन।
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत आभार गुरुजी... बस आपसे ही सीखने का प्रयास कर रहा हूं
Deleteअब गया तू ऐसे छोड़ मुझे
ReplyDeleteशायद कभी ना मिल पाऊँगी
कल तक मेरा "बेटा" था तू
अब "माँ" मैं तेरी कहलाऊँगी
बहुत भावभीनी प्रस्तुति ।।
बहुत बहुत आभार 🙏
Deleteअब गया तू ऐसे छोड़ मुझे
ReplyDeleteशायद कभी ना मिल पाऊँगी
कल तक मेरा "बेटा" था तू
अब "माँ" मैं तेरी कहलाऊँगी
बहुत ही भावपूर्ण लिखा आपने हरीश जी | सच में भगत सिंह और एनी शहीदों जैसे अमर बलिदानी बेटे हर माँ को नसीब नहीं होते | शहीदों के लिए आपके उदगार वन्दनीय है | वो कलम सार्थक होती है जो वीरों की विरुदावली रचती है | उनके यशोगान कवि का परम सौभाग्य है | सस्नेह शुभकामनाएं | लिखते रहिये |
बहुत बहुत आभार mam 🙏
DeleteJai hind
ReplyDeleteजय हिंद जय हिंद की सेना
DeleteWhat a poetry
ReplyDeleteThanks
DeleteGreat lines
ReplyDeleteJai hind jai bharat..
ReplyDeleteशुक्रिया मेरे ब्लॉग पर पधारने के लिए
DeleteBahut sundar prastuti
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteमेरे पास आपकी इस रचना के लिए सिर्फ एक ही शब्द है और वो है निशब्द!
ReplyDeleteसाधुवाद🙏🙏🙏🙏
बहुत बहुत आभार मनीषा जी
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