क्यूँ सारे सपने धूमिल हो रहे
क्यूँ हवा का रुख बदल रहा है
फिर क्यूँ बारिश मे यादें उमड़ रहीं हैं
मैं तुम्हें एक दिन बताऊंगा
क्यूँ आसमाँ में घनघोर घटा छा जाती हैं
क्यूँ एक झोंका हवा का यादों को उड़ा देती है
फिर क्यों आती हैं आंसुओ की धारा
मैं तुम्हें एक दिन बताऊंगा
क्यूँ गुज़रे लम्हों की हर एक यादें
एक तेज छुरी सी चमकती है
फिर क्यूँ प्रणय मिलन से डरता है मन
मैं तुम्हें किसी रोज बताऊंगा
क्यूँ मद्धम मद्धम बढ़ता वेग वर्षा का
क्यूँ हर बूंद एक दर्द छोड़ती है
फिर क्यूँ घटा बरसती आँखों से
मैं तुम्हें किसी दिन बताऊंगा
क्यूँ आसमान में उठ रही अंगडाई
क्यूँ कोई भ्रम सा साथ होता है
फिर क्यूँ पागलों सी हालत है मेरी
मैं तुमको एक दिन बताऊंगा
काली घटाओं की गर्जन
और बारिश के बाद का सन्नाटा
चिंतित मन के हालात भी
मैं तुमको एक दिन बताऊँगा
तन्हा रातों का सबब और
हंसता चेहरा आंसू दर्द
सपने और हकीकत भी
मैं तुमको एक दिन दिखाऊंगा|
(Harry)
Nice. Sir
ReplyDeleteThank you
DeleteNice bhaiya 👌
ReplyDeleteVery nice 👌
ReplyDeleteThank you
DeleteSuprb♥️
ReplyDeleteThank you
Deleteबहुत बहुत आभार 🙏
ReplyDeleteNice lines.God bless you
ReplyDeleteतन्हा रातों का सबब और
ReplyDeleteहंसता चेहरा आंसू दर्द
सपने और हकीकत भी
मैं तुमको एक दिन दिखाऊंगा|
बहुत सुन्दर सराहनीय सृजन।
कोटि कोटि आभार mam 🙏
DeleteAmazing lines 🙌👌
ReplyDeleteThank you
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteThank you
Deleteबहुत ही सुंदर हृदय स्पर्शी रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार हौसला अफजाई के लिए
Deleteअकेलेपन में अपने करीबियों की याद कुछ ज्यादा ही सताती है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर, वह दिन तो कभी आएगा
धन्यवाद
DeleteNice line da
Deleteधन्यवाद
DeleteNice bhaiya ji
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteवीतरागी मन का एकान्त प्रलाप प्रिय हरीश।जीवन में इस तरह के अनेक क्षण आते हैं जब इस प्रकार के कातर भाव मन को आच्छादित कर सृजन हेतु प्रेरित करते हैं//
ReplyDeleteकाली घटाओं की गर्जन
ReplyDeleteऔर बारिश के बाद का सन्नाटा
चिंतित मन के हालात भी
मैं तुमको एक दिन बताऊँगा ///।
वाह!!👌👌👌👌
शुक्रिया 🙏
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