Sunday, January 9, 2022

डंका बज गया चुनाव का


 

मुझे उसके लफ़्ज़ों मे, चापलूसी की बू आ रहीं है

बड़ा शोर मचा है लगता है, चुनाव तू आ रहीं है

कल तक जो राजा थे, अब खुद को सेवक दिखा रहे हैं 

भ्रमित करके जनमानस को, जाल नया बिछा रहे हैं 


जो मुड़कर नहीं आए सालों मे, वो रोज पधार रहे हैं

आलीशान महलों के मालिक, झुग्गियों मे दिन गुजार रहे हैं 

जिसने जनता की आशा तोड़ी, पलट कभी देखा नहीं 

जनता जनार्दन होती है जान, अब आस से निहार रहे हैं 


शोर सराबोर चारो तरफ, अपना प्रचार कर रहे हैं 

बहला फुसला कर जनता को, फिर व्यापार कर रहे हैं 

दे दो सत्ता आज हमे, कल होगा विकास 

डिजिटल नगदी के युग मे, सौदा उधार कर रहे हैं 



अब कलम के सहारे, जनता को जगाना होगा 

एक एक "मत" की कीमत, इनको समझाना होगा 

ये बरसाती मेढ़क है, सिर्फ बरसात मे ही आयेंगे 

अगर है हितैषी जनता के, हर मौसम आना होगा 


जो सुख दुःख मे साथ रहे, वही जननायक होगा 

वोट उसी को करेंगे अब, जो नेता के लायक होगा 

जो सिर्फ अपना उल्लू सीधा करे, उसकी जरूरत नहीं 

संसद‌ मे वही पहुंचेगा, जो बुरे वक्त मे भी सहायक होगा 


जो राग द्वेष से हो परे, न सत्ता लालच मन मे हो 

जिसका जाति धर्म से बढ़कर, राष्ट्र प्रेम जीवन मे हो 

जो ना बांटे दुनियां को, जाति-धर्म की राजनीति से 

एक देश एक है हम, जिसके हर कथन मे हो 


जागो जनता बेच ना आना, फिर से अपने वोट को 

काबिल को चुनकर आना, न देखना फेंके नोट को

लालच की माला पहन, उतर न जाना बोतल मे 

करके ख्वाब का सौदा, बिक न आना चुनावी दंगल मे 



Saturday, January 1, 2022

नव वर्ष मंगलमय हो



 पुराने गिले शिकवे को अलविदा बोल

 अपनी गलतियों से सबक लेकर 

 आखिरकार इस खत्म होते साल को

 हँस कर विदा कर दो सबकुछ भूलकर।


 बीते लम्हों को रुखसत कर दो

 स्वागत है नये साल मे 

 अतीत की बुरी यादों को दफनाकर 

 खुश रहना है अब हर हाल मे।


 शुभकामनाएं दें नूतन वर्ष की 

 कोई शिकवे गिले ना रह जाए कहीं।

 शांति और प्रेम के लिए प्रार्थना करें,

 दौलत या शोहरत के लिए नहीं।


 स्वास्थ्य और उन्नति की दुआ करें।

कोई राही मंजिल से पहले ना रुके

सभी अपने परायों की सलामती मांगे

जो अपना रास्ता हैं खो चुके


बहुत मिले पर कुछ बिछड़ भी गए

इस बीतते हुए वर्ष मे

यादों मे उनको जिंदा रखना हमेशा

भुला न देना उन्हें किसी हर्ष मे


नया साल है नयी नीतियां नए नए आयाम होंगे

नयी नयी परिस्थिति से होकर छूने नए मुकाम होंगे

"सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया"

यही सहृदय मेरा जग को अब यही पैगाम होंगे

     💐..... नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं......💐

Sunday, December 12, 2021

आस अभी भी कश्मीर की..


 क्यों अपना ही घर हमें, छोड़कर भागना पड़ा

हुक्मरान थे नींद में, हमें जागना पड़ा

पुस्तैनी जमीन छोड़ी, सपनों का मकां गया

किलकारियों भरा आंगन, किसे पूछूँ कहांँ गया


 क्या कसूर था हमारा, क्यों जो बेदखल किया

बेबस बेकसूरों का, किस जुर्म में कतल किया

रो रहीं बहू बेटियाँ, बुजुर्ग सब हताश थे

न पनाह अपनत्व की, अपने भी लाश लाश थे


कैसे बचाई जान हमने, रात के अंधेरों में

चीखती कराहें कह रही, कश्मीर के गधेरों में

सत् सनातन के राही, करते थे शिव का ध्यान सदा 

नि:शस्त्र शास्त्र का हनन हुआ, इस बात का सबको पता 



फिर भी सभी खामोश हैं, ना हलचल कोई सदन में है 

शरणागत के भांति फिरते, अब तलक हम वतन में हैं 

 हक हमें भी अपना चाहिए, जमीं अपनी कश्मीर में 

बहुत सह लिए ज़ख़्म, बेवजह आए मेरे तकदीर में


अब कोई तो निर्णय करो, फैसले जो हक मे हो

मुस्कान सिर्फ चेहरे पे नहीं, खुशी हर रग रग मे हो

फिर से वही घर चाहिए, और वहीं बसेरा हो

अब नफरतों की शाम ढ़ले, अमन का सवेरा हो

                       

                       ....... हैरी