Friday, July 26, 2024
"करगिल से उरी तक: " Hidden Truth"
Thursday, July 4, 2024
वो वक़्त तो लौटा दो यार...
तुम रख लो चाहे तोड़ने को दिल
पर नीद तो लौटा दो यार
रख लो मेरी हर एक समझदारी
पर नादानी को कर दो गुलजार
मैं कब तक घुट घुट कर इस रिश्ते मे
अपना सबकुछ जाऊँगा हार
तुम रख लो अपने सारे सूकून
पर मेरी बेचैनी तो लौटा दो यार
हर साँस पे भले जाओ समा
धड़कन की चाहे रोक दो रफ्तार
तुम रख लो जिस्म का कतरा कतरा
पर रूह तो लौटा दो यार
और लौटा तो मेरी मुफलिसी
वो अकेलापन और सपने हजार
तुम रख लो मेरी एक एक कौडी
पर वो वक़्त तो लौटा दो यार
वो वक़्त जो मुझसे छुटा है
वो नीद जो तुमने लुटा है
वो शरारत जो थी मेरी हर बात मे
वो विश्वास जो खुद से टूटा है
पर लौटाओगे भी तो क्या क्या
तुमने तो मेरे ख्वाब तक भी छीने हैं
मुझे कर दिया कंगाल और
खुद के जूतों पे भी जड़े नगीने हैं
Wednesday, June 5, 2024
सत्ता सत्य पर भारी....
देख कर लोकसभा का परिणाम
मन बहुत ही खिन्न हो गया
वो तो संगठित रहे पूरे जुनून से
मगर हिन्दू छिन्न भिन्न हो गया
जो सत्य सनातन का सारथी बना
उसके साथ ही बहुत बड़ा छल हो गया
जिनसे हर हाथ को दिया नयी ताकत
वो ही असहाय और निर्बल हो गया
जिसने प्रभु श्रीराम का मंदिर बनवाया
वह बहुमत भी ना पा पाया
हुए सफल राम का अस्तित्व पूछने वाले
हाय ये कैसा कलयुग आया
हिन्दू अपनी इसी भूल के वजह से
इतिहास मे भी कई बार हारा है
जिसको ये समझ रहे नया सवेरा
ये भूल डुबाने वाली दुबारा है
बहुत दुखी होंगे लखन और हनुमान
मन कुंठित प्रभु श्रीराम का भी होगा
जिन्होंने निर्बल किए है हाथ सनातन के
क्या उनको एहसास अंजाम का भी होगा?
सब भूल गए संदेशखाली और पालघर
क्या याद नहीं ओवैसी के मंसूबे
तुम एक को हटाने के खातिर
पूरे राष्ट्र को ही ले डूबे
बहकावे मे आकर गैरों के
तुमने ये कैसा कृत्य कर डाला
सिंचित कर दिया विष व्यापत तनों को
और खुद के जड़ों को ही जला डाला ||
Written by HARISH
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हया भी कोई चीज होती है अधोवस्त्र एक सीमा तक ही ठीक होती है संस्कार नहीं कहते तुम नुमाइश करो जिस्म की पूर्ण परिधान आद्य नहीं तहजीब होती है ...
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मैं मिलावटी रिश्तों का धंधा नहीं करता बेवजह किसी को शर्मिदा नहीं करता मैं भलीभाँति वाकिफ हूँ अपने कर्मों से तभी गंगा मे उतर कर उसे गंदा...