तुम रख लो चाहे तोड़ने को दिल
पर नीद तो लौटा दो यार
रख लो मेरी हर एक समझदारी
पर नादानी को कर दो गुलजार
मैं कब तक घुट घुट कर इस रिश्ते मे
अपना सबकुछ जाऊँगा हार
तुम रख लो अपने सारे सूकून
पर मेरी बेचैनी तो लौटा दो यार
हर साँस पे भले जाओ समा
धड़कन की चाहे रोक दो रफ्तार
तुम रख लो जिस्म का कतरा कतरा
पर रूह तो लौटा दो यार
और लौटा तो मेरी मुफलिसी
वो अकेलापन और सपने हजार
तुम रख लो मेरी एक एक कौडी
पर वो वक़्त तो लौटा दो यार
वो वक़्त जो मुझसे छुटा है
वो नीद जो तुमने लुटा है
वो शरारत जो थी मेरी हर बात मे
वो विश्वास जो खुद से टूटा है
पर लौटाओगे भी तो क्या क्या
तुमने तो मेरे ख्वाब तक भी छीने हैं
मुझे कर दिया कंगाल और
खुद के जूतों पे भी जड़े नगीने हैं
Wow 🤗 superb bhaiya 🥰🥰🥰🥰🥰
ReplyDeleteThank you so much 💐
Deleteसुन्दर सृजन
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार 🙏
DeleteBhut bdiya jiju
ReplyDeleteThank you 💐
Deleteसबकुछ लूटने के बाद,
ReplyDeleteकोई कुछ नहीं लौटाता।
रह जाती हैं यादें बाकी,
कोई पलटकर नहीं आता।
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भावपूर्ण अभिव्यक्ति।
सादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार ५ जुलाई २०२४ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
बहुत बहुत आभार 🙏
Deleteबहुत सुन्दर कविता है , मन को लुभा गयी
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteजो बीत गई वो बात गई...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सृजन।
बहुत बहुत आभार
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