हाँ मैं एक पुरुष हूं
और पुरुषवादी भी, मगर त्रिया विरोधी कभी नहीं
बहुत स्वाभिमानी भी हूँ
मगर नारी का अपमान हो ये सोचता भी नहीं
स्त्री पुरुष तो हमसफ़र हैं जिंदगी के
एक दूसरे के खिलाफ कभी भी नहीं
अगर समझदारी और सम्मान हो रिश्ते मे तो
शक और विद्रोह की जगह कहीं नहीं
अगर मिलजुल कर करे सफर का आगाज
तो रोक सके राह ऐसी दीवार दुनियां मे बनी ही नहीं
नर हो या नारी दोनों परमब्रह्म की संताने है
हो ईश्वर की संतानो मे भेदभाव कभी भी नहीं
हाँ मैं एक पुरुष हूं
मगर स्त्री विरोधी कभी भी नहीं
(हैरी)
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 16 नवंबर 2021 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
बहुत बहुत आभार आपका 🙏
DeleteAwsm
ReplyDeleteThank you
Deleteबहुत ही सही बात कही आपने, सच में बहुत ही उम्दा रचना
ReplyDeleteबहुत-बहुत आभार आपका
Deleteसुंदर सृजन 🙏
ReplyDeleteशुक्रिया 🙏
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