Tuesday, November 9, 2021

गठन या पतन?



क्या उखाड़ लिया गठन करके

एक नए राज्य उत्तरांचल का

जिसका आज तो है ही डूबा 

ना कुछ अच्छी आस है कल का 


लाखों के बलिदान का था परिणाम 

ढेरों सपने भी सजाये थे 

इस नए राज्य के खातिर 

माताओं ने भी डंडे खाए थे 


धूल मे मिला दी कुर्बानी 

हर दिल मे ये गुबार है 

हर उत्तराखंड के क्रांतिकारी का 

हम सब पे ये उधार है 



क्या क्या सपने देखे थे उन सब ने 

क्या इस राज्य का हाल हुआ है 

यू. पी. मे थे तो कुछ तो अस्तित्व था 

अब अलग हुए तो बेहाल हुआ है 


थे सपने नए राज्य मे 

नयी उन्नति नए कारोबार होगा 

हर हाथ होगा समृद्ध और 

ना कोई बेरोजगार होगा 


आज स्थिति ऐसी हो गई 

हम पहले से भी पीछे हैं 

उड़ान भरने को नए पंख दिए थे 

सरकारों ने हाथ भी पीछे खींचे हैं 



हर युवा बेरोजगार बैठा है 

हर गरीब तरसता है निवाले को 

हर धाम ताकता है पुनर्निर्माण को 

हुक्मरान पूजते है प्याले को 


अब किससे क्या उम्मीद करें 

किससे अब हम मतभेद करे 

खुशियां मनाए इस हाल पे राज्य के 

या अलग होने पे खेद करें.....? 

                             (हैरी)

20 comments:

  1. समसामयिक परिस्थितियाँ बयान करती पंक्तियाँ... सोचना का है कि हमने क्या चाहा था और आखिर में क्या पाया...

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    1. लाखों क्रान्तिकारियों की मेहनत पे पानी फिरता नजर आ रहा है अगर हालात ऐसे ही रहे तो

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  2. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार(११-११-२०२१) को
    'अंतर्ध्वनि'(चर्चा अंक-४२४५)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  3. सुन्दर पंक्तियाँ

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    1. बहुत-बहुत आभार गुरुजी 🙏

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  5. गहन चिंतन परक लेख चिंतनीय परिस्थितियों पर।

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    1. शुक्रिया... भावना को समझने के लिए 🙏

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  6. उत्तराखंड राज्य बना !
    अवसरवादियों ने मलाई खाई और जनता ने धोखे खाए !

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  7. धूल मे मिला दी कुर्बानी

    हर दिल मे ये गुबार है

    हर उत्तराखंड के क्रांतिकारी का

    हम सब पे ये उधार है
    बहुत सटीक...
    सच उत्तराखंड बस तरस कर रह गया विकास के लिए।

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    1. सबके सपने सपने ही रह गए...

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