अब सड़कों का जाल बिछाने
लगे हुए हैं गाँव मे
जब लोग सारे करके पलायन
जा चुके शहर, किराये के मकां मे
जब जरूरत थी गाँव को
मूलभूत सुविधाएं और रोड की
तब ना दर्द का एहसास था किसी को
ना फिक्र थी किसी की चोट की
कैसे जननी जनती थी शिशु को
नदी नाले और डोली मे
कैसे वृद्ध ने हार कर तोड़ी सांसे
कितना दुःख डाला गाँव की झोली मे
मीलों पैदल चलकर माँ बहने
पानी ढोकर लाती थीं
करके खून पसीने का सौदा
दो वक्त की रोटी खाती थी
बच्चों ने जान हथेली मे रख कर
थोड़ी बहुत शिक्षा पायी थी
गहरी खाई और रपटते रास्तों मे
बहुतों ने जान भी गंवाई थी
अब बने है गाँव के हीतेसी
जब लाखों गाँव उजड़ गए
लाखों घर हो गए बंजर
लाखों अपनों से बिछड़ गए
अब उस सड़क के क्या मायने
जिस पर चलने को लोग नहीं
अब ना विरान मकां मे वो हलचल रहीं
जिनका खुशियो से मिलन का संजोग नहीं
आज भी शहर की चारदीवारी मे कैद
बहुत अम्मा बाबा रोते हैं
अपने गाँव के बाखली को याद करके
बुढ़ी आंखे खुद को भीगोती हैं
अब भी वक्त है कर दो जीर्णोद्धार
कुछ रुके हुए हैं जो गाँव मे
उस बुढ़े बरगद तक पहुंचा दो पानी
हमारा बचपन गुजरा है जिसकी छांव मे
वाह!
ReplyDeleteबेहतरीन 👌👌👌👌👏👏👏👏
शुक्रिया 🙏
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteबहुत-बहुत आभार गुरुजी 🙏
Delete🙏🙏
ReplyDeleteअब सड़कों का जाल बिछाने
ReplyDeleteलगे हुए हैं गाँव मे
जब लोग सारे करके पलायन
जा चुके शहर, किराये के मकां मे
वाह!!!
बहुत सटीक...
अभी भी बने तो सही सड़कें... शायद वापस आ भी जायें सब।
बेहतरीन सृजन गाँवो की दशा को दर्शाता ।
बहुत-बहुत आभार Mam 🙏
Deleteआज भी शहर की चारदीवारी मे कैद
ReplyDeleteबहुत अम्मा बाबा रोते हैं
अपने गाँव के बाखली को याद करके
बुढ़ी आंखे खुद को भीगोती हैं
बहुत ही बेहतरीन और सटीक रचना
इन पंक्तियाँ पर कुछ पंक्तियाँ मेरी तरफ से!
इस तेज़ रफ़्तार से भागते हुए शहरों की फिज़ाओं में ना वो महक हैं, ना वो मट्टी में सोंधी खुशबू,
ना सूर्य की किरणों में वो चमक है!
ना ही चाँद की चाँदनी में वो सफेदी!
जिसे मैं महसूस कर सकूँ!
ना ढलती ऐसी कोई शाम है,
ना ढलती शाम में पेड़ों की झुरमुट में छुपता हुआ लाल आग का गोला!
ना जलती सुबह में चिड़ियों की चहचहाट!
बहुत बहुत शुक्रिया... और बहुत उम्दा पंक्तियों के लिए भी आभार
Deleteमित्र नमस्कार !
ReplyDeleteउम्दा सृजन !
ज्यादा कुछ कहूँ तो शायद ॥ भावपूर्ण रचना ॥ के साथ इंसाफ न हो पायेगां / /
👍
अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं आप... इससे कुछ सीखने को ही मिलेगा
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