बिखरे अल्फाजों की माला
गढ़ना कभी आसान ना था
खामोशी तेरे लबों की
पढ़ना कभी आसान ना था
फिर भी सुनी दिल की
और भावनाओं को लिख डाला
पिरोए लफ़्ज़ और
बन गई प्रीत की माला
अब सिर्फ तुझ पे लिखना है
और तेरी आंखे ही पढ़ना है
खामोशी को शब्द बनाकर
अपनी तन्हाई से लड़ना है
लिखना है बिछड़ने का मंज़र
लिखना प्रेम के वो पल हैं
लिखना है तेरी मेरी कहानी
लिखना हर वो एक स्थल है
जहां ली थी कसमें हमने
कभी होने की ना दूर
जिंदगी भर का साथ से कम
कुछ ना था दोनों को मंजूर
फिर कैसे खत्म हुआ सब पल मे
कैसे भूल गए हर बात
एक बार तो आकर पूछ लो
तुझ बिन कैसे हैं मेरे हालात
अपने दर्द का घूंट अकेले पी रहा हूं
तेरा साया मेरे दर से नहीं जाता
तू भले ही दूर है अब मुझसे
मगर तू मेरे अन्दर से नहीं जाता
Nice bhaiya🥰🥰
ReplyDeleteThank you 😍💐
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