हाँ है वो मेरे लिए खास
बेवजह खुश कभी बेवजह उदास
न दूरियाँ है दरमियाँ, न मिलन की है आस
न साथ मेरे रहती है फिर भी है आसपास
हाँ है वो मेरे लिए खास
कभी गुस्से मे मुँह फूला ले
कभी दुनियां तमाम का प्यार लुटा दे
कभी दिल के इमौज़ी संग संजोए नाम
कभी नंबर ही हटा दे
वो अजनबी है नहीं पल पल दिलाती है एहसास
हाँ है वो मेरे लिए खास
कभी उसकी नादानी मुझे
बचपन अपना याद दिलाते हैं
उसकी हंसी और गालों मे डिम्पल
ग़म जहान के सारे भुलाते हैं
रहती है कोशिश वो कभी, न हो मेरे हरकतों से निराश
हाँ है वो मेरे लिए खास
वो सच्ची है सोने सी खरी
वो साथी सखा राधा से बढ़कर
वो ग़म अपना छुपाना चाहती है
पर आंसू गिरते पलकों पे चढकर
जितना खुश वो मिलन से है, उतनी ही बिछड़ने से हताश
हाँ है वो मेरे लिए खास
संग साथ जो गुज़रे है वो
लम्हे ताउम्र रहेंगे साथ
शायद कल छूट जाए दामन
कैसे संभालेंगे ज़ज्बात
अब हमारे इस बेनाम रिश्ते का, गवाह होगा इतिहास
हाँ है वो मेरे लिए खास,
हाँ है वो मेरे लिए खास.....
सुन्दर रचना |
ReplyDeleteधन्यवाद गुरुजी
Deleteवाह!! प्नशंसनीय ।👏👏👏👏
ReplyDeleteभावनात्मक रचना। 👌👌
आपकी लिखी मेरी पसंदीदा रचनाओं में शामिल ....💐💐💐
बहुत-बहुत आभार
Deleteबहुत सुंदर, आदरणीय शुभकामनाएँ
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार mam
Deleteअत्यंत भावपूर्ण स्नेहसिक्त अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteसादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार ३ अक्टूबर२०२३ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
बहुत-बहुत आभार 🙏
Deleteवाह, बहुत सुंदर 💙❤️
ReplyDeleteशुक्रिया महोदय 🙏
Deleteअत्यंत भावपूर्ण सृजन ।
ReplyDeleteबहुत-बहुत आभार 🙏
Deleteप्रेम की खूबसूरत रचना
ReplyDeleteआभार जी
Deleteहर रिश्ता प्रेम से बना होता है, नाम वाला या बेनाम नहीं
ReplyDeleteये भी सच कहा आपने
Deleteमुग्ध करती सरस कृति
ReplyDeleteशुक्रिया जनाब
Deleteप्यारी रचना।
ReplyDeleteधन्यावाद जी
Deleteइतने खास से कभी दूर नहीं होना चाहिए... संजो कर रखने चाहिए ऐसे रिश्ते...बहुत ही सुन्दर मनमोहक सृजन ।
ReplyDeleteबहुत-बहुत शुक्रिया mam
Deleteबहुत सुंदर रचना..
ReplyDeleteधन्यावाद mam
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