तुम हो धूर्त, तुम हो ढीठ,
तुम हो श्वान के दुम की रीड़
तुम को समझाया लाख मगर
फिर भी गलतियाँ करते हो रिपीट (Repeat)
ना तुमको गुरुजी के छड़ी का भय
ना तुमको अपमान का संशय
हर वक़्त सजा की पंक्ति में खड़े
फिर क्यूँ न करते सत मार्ग को तय
शिक्षा तुमको लगती बोझ
मजबूरी मे ढोते बस्ते को रोज
बे मन से ग्रहण की गई शिक्षा
सिर्फ पैदा करती है संकोच
गर ध्यान से ज्ञान करो अर्जित,तो
विधुर से विद्वान बन जाते है
इस कालखण्ड के कर्म-चक्र से
सदियों तक यश ही पाते हैं
शिक्षा ही है जो ज्ञान दिलाती
इस भूमण्डल में सम्मान दिलाती
चहुमुखी व सम्पूर्ण विकास कर
जुगुनू सा प्रकाश फैलाती
तो करो परिश्रम बन जाओ अफसर
फिर नवराष्ट्र निर्माण करो योग्य बनकर
शिक्षा वो पाक साफ अमृत है
असमर्थ भी सक्षम हो जाता जिसको पीकर ||
Friday, March 14, 2025
शिक्षा : जीवन का आधार
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हया भी कोई चीज होती है अधोवस्त्र एक सीमा तक ही ठीक होती है संस्कार नहीं कहते तुम नुमाइश करो जिस्म की पूर्ण परिधान आद्य नहीं तहजीब होती है ...
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मैं मिलावटी रिश्तों का धंधा नहीं करता बेवजह किसी को शर्मिदा नहीं करता मैं भलीभाँति वाकिफ हूँ अपने कर्मों से तभी गंगा मे उतर कर उसे गंदा...
ठीठ या ढीठ ? सुन्दर
ReplyDeleteSelection of words are truly amazing 🙏
ReplyDeleteBahut sundar panktiyan
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