Sunday, September 5, 2021

गुरु महिमा अपरम्पार

प्रभु तेरा गुणगान कर सकूँ

इस काबिल जिसने बनाया है

मेरे अज्ञानरूपी अंधकार में

ज्ञान का दीपक जलाया है|


उन गुरुओं के चरणों मे सदा

शीश अपना झुकाया है

प्रभु तेरे इस दिव्य स्वरुप को

आखर -आखर से सजाया है|


जिसने ज्ञान की जोत जलायी

जिसने अक्षर की पहचान दिया

गुरु के ज्ञान से होकर काबिल

सबको जग ने सम्मान दिया|


उस गुरु का मान रख सकें

प्रभु इतना वरदान देना

हम भी गुरु पग चिह्न पर चले

हमको सन्मार्ग की पहचान देना|


मेरे गुरु तारणहार है मेरे

मेरे पहले भगवान भी

हे गुरुवर! तुम ज्ञाता हो जग के

प्रभु तुल्य इंसान भी|


महिमा तुम्हारी वर्णन कर सकूँ 

मुझमे इतना ज्ञान नहीं 

वह मंदिर भी श्मशान सा मेरे लिए 

जहां गुरुओं का सम्मान नहीं|


शब्द नहीं उचित उपमा को 

अब कलम को देता विराम हूँ 

गुरुवर आप अजर अमर रहें 

चरणों मे करता प्रणाम हूँ 

चरणों में करता प्रणाम हूँ|

                     ... (हैरी) 



शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 

12 comments:

  1. वाह... इतनी श्रद्धा और सम्मान भरा है शब्दों में.... प्रत्युपकार में इससे बेहतर भेंट क्या हो सकती है एक शिक्षक के लिए...

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    1. बहुत-बहुत आभार हौसला अफजाई के लिए..

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  2. शुभकामनाएं शिक्षक दिवस की सुन्दर सृजन

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    1. बहुत-बहुत आभार गुरुदेव 🙏

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  3. Bahut Sundar Rachna Happy Teachers Day You too.

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  4. सुंदर सृजन ! पर सच्चाई यह भी है कि आज वैसे शिक्षक दुर्लभ हो गए हैं, जिन पर स्वंय आदर व श्रद्धा उमड़ पड़ते थे

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    1. काफी हद तक सही कहा आपने परन्तु अब वैसे शिष्य भी नहीं मिलते हैं

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