जब तक गंगा यमुना मे जल है
जब तक हवा मे शीतल है
जब तक चिडियों की कलकल है
हर नस मे देशप्रेम बहना चाहिए
मैं रहूं या ना रहूं ये देश रहना चाहिए
जब तक बाजुओं मे बल है
जब तक सांसो मे हलचल है
जब तक अंतर्मन मे दंगल है
ना जुर्म कोई सहना चाहिए
मैं रहूं या ना रहूं ये देश रहना चाहिए
जब तक धरती पे जंगल है
जब तक सूर्य चंद्र और मंगल है
जब तक खेत किसान और हल है
दुश्मन का हर गुरूर ढहना चाहिए
मैं रहूं या ना रहूं ये देश रहना चाहिए
जब तक सरहद मे सेना दल है
जब तक कांटे और कमल है
जब तक विश्वास अटल है
बस जय हिंद कहना चाहिए
मैं रहूं या ना रहूं ये देश रहना चाहिए
जब तक राग द्वेष ना मन मे छल है
जब तक विचार निर्मल है
जब तक धरा मे भू पटल है
बस देशप्रेम ही गहना चाहिए
मैं रहूं या ना रहूं ये देश रहना चाहिए
Kumar Harris
जब तक राग द्वेष ना मन मे छल है
ReplyDeleteजब तक विचार निर्मल है
जब तक धरा मे भू पटल है
बस देशप्रेम ही गहना चाहिए
मैं रहूं या ना रहूं ये देश रहना चाहिए
बहुत सुंदर।
बहुत बहुत आभार mam
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ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में बुधवार 18 अगस्त 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
Thank you
Deleteसुंदर भावों से सजी रचना ।
ReplyDeleteएक प्रश्न ----
हरीश नाम से हैरिस ( Harris ) क्यों कर लिया ?
Harish ही है mam actually notes me Harris karke likhta hu वो yaha bhi paste हो गया 😊
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