माँ की ममता है ही कुछ ऐसी
जिसे कोई समझा नहीं सकता,
यह सर्वोच्च आस्था से बना है
और इसके बलिदान से बड़ा कुछ हो नहीं सकता
यह पाक साफ और निःस्वार्थ है
इससे स्थायी क्या हो सकता है
ना कोई उसके प्यार को छीन सकता
और कुछ भी इसे ना मिटा सकता है |
यह धैर्य और क्षमाशीलता ना खोता
भले ही भरोसा रहा हो टूट
और यह कभी विफल नहीं होता
चाहे सबकुछ रहा हो छूट |
इसमे विश्वास अनंत अडिग है
चाहे जग निंदा करे चहु ओर
यह पूर्ण सुंदरता से चमकता
सबसे चमकीले रत्न सा कहीं दूर |
यह परिभाषित का मोहताज नहीं है,
यह सभी तर्कों की करे निंदा
रहस्यमय है अभी भी दुनियां के नज़रों मे
सृष्टि के अन्य रहस्यों की तरह,
एक बहुत ही शानदार चमत्कार
मनुष्य समझ ही नहीं सकता
यह एक चमत्कारिक सबूत है
खुदा के चामत्कारिक हाथों का |
(हैरी)
सुन्दर सृजन
ReplyDeleteबहुत-बहुत शुक्रिया गुरुजी 🙏
DeleteBahut khubsurat likha hai apne majaaa agyaaa daa bahut pyari kabitaaa
ReplyDeleteधन्यवाद
Delete🙏🙏
ReplyDelete👍
DeleteBahut badiya. Keep it up
ReplyDeleteशुक्रिया
ReplyDeleteयह धैर्य और क्षमाशीलता ना खोता
ReplyDeleteभले ही भरोसा रहा हो टूट
और यह कभी विफल नहीं होता
चाहे सबकुछ रहा हो छूट |
माँ के प्रेम को परिभाषित करने का बेहतर प्रयास
वाह!!!
हृदयस्पर्शी सृजन ।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार mam..
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