गरल फैला है चमन मे
तमस छा रहा है सदन मे
भ्रष्टाचार के बने प्रचारक
सत्ता लालच है जिनके मन मे
ना भय है तम और यम का
ना भाव दया या रहम का
लिपटे हुए है यूं स्वार्थ से
मानो गुलाम हो किसी भ्रम का
मै ही हूँ और सबकुछ मेरा है
हुक्मरानों का ये अहंकार है
भूल गए जनता है मालिक
चाहे किसी की भी सरकार है
सत्ता में मदमस्त है जो
वो दिन चार के रखवाले हैं
माना सफेद पोशाक है इनके
दिल से अभी भी काले हैं
कर रहे जो मौत का सौदा
तपिस तुम तक भी आएगी
अर्श से सब पहुंचेग फ़र्श पे
जिस दिन जनता जागेगी..
👍👍👍👍👍
ReplyDeleteशुक्रिया
Delete👌👏👏👌
ReplyDelete😊😊👍
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