हम फिर मिलेंगे कभी....
शायद इस जनम मे तो नहीं
पर मेरा अटल विश्वास है
मैं तेरे दिल मे हमेशा रहूँगा
कहीं किसी सीप मे मोती की तरह
कभी हारिल की लकड़ी सा
अब आँखों से तेरी ओझल हो गया
चाह कर भी कहीं ढूंढ ना पाओगे
पर तुझमे मुझको ढूंढेगी दुनिया
जैसे चांद के संग चौकोर
जैसे इन्द्रधनुष और मोर
किस्से अपने या कुछ और
मैं तेरी यादों से लिपट जाउंगा
पर तुझे भी बहुत याद आऊंगा
पता नहीं कहाँ किस तरह
पर पलकें तेरी भी जरूर भीगेगी
सैलाब ना सही चंद बूँदों से
तेरी आंख का काजल भी मिटेगा
या फ़िर यादों का फव्वारा
जैसे झरने से पानी उड़ता है
मैं पानी की बूंदें बनकर
तेरे बदन से रिसने लगूंगा
और एक ठंडक सी बन कर
तेरे सीने से लगूंगा
मुझे कुछ नहीं पता
पर इतना जरूर जानता हूँ
कि वक्त जो भी करेगा
यह लम्हा मेरे साथ चलेगा
यह शरीर खत्म होता है
तो सब कुछ खत्म हो जाता है
पर ये नूरानी रूह के धागे
कायनात तक जोड़े रखते हैं
उन्हीं धागों के सहारे
मैं तुझसे जुड़ा मिलूंगा
बस इस जन्म की नींद से जागते ही
तुझे उस जन्म मे फ़िर मिलूंगा !!
(हैरी)
So adorable 🥰
ReplyDeleteThank you
DeleteThank you so much
ReplyDeleteअपने चर्चा अंक मे मेरी इस रचना को शामिल करने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार🙏
ReplyDeleteभावनाओं से ओतप्रोत बहुत ही मार्मिक व हृदयस्पर्शी रचना
ReplyDeleteबहुत-बहुत आभार
Deleteबनते बिछड़ते रिश्तों के एहसासों का सुंदर भावपूर्ण सृजन ।
ReplyDeleteधन्यवाद mam
Deleteप्रेम में पगा बहुत ही खूबसूरत एहसास।
ReplyDeleteसराहनीय सृजन।
सादर
हौसला अफजाई के लिए आपका बहुत-बहुत आभार Mam 🙏
Deleteखूबसूरत एहसास।
ReplyDeleteबहुत-बहुत शुक्रिया
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