देवनागरी लिपि से लिपिबद्ध, भाषा सबको सिखाती हिन्दी
बहुत सरल बहुत भावपूर्ण है, ना अलग कथन और करनी है
जग की वैज्ञानिक भाषा है जो, संस्कृत इसकी जननी है
बहुत व्यापक व्याकरण है इसका, सुसज्जित शब्दों के सार से
एक एक महाकाव्य सुशोभित है जिसका, रस छंद अलंकार से
ऐसी गरिमामय भाषा अपनी, निज राष्ट्र मे अस्तित्व खो रहीं
वर्षों जिसका इतिहास पुराना, अपनों मे ही विकल्प हो रहीं
अनेक बोलियां अनेक लहजे मे, बोली जाती है हिन्दी
चाहे कबीर की सधुक्खडी हो, या तुलसी की हो अवधी
सब मे खुद को ढाल कर, खुद का तेज न खोए हिन्दी
पाश्चात्य भाषाओं के अतिक्रमण से, मन ही मन मे रोए हिन्दी
अपनों के ठुकराने का, टीस भी सह जाती है हिन्दी
वशीभूत आंग्ल भाषियों के मध्य, ठुकराई सी रह जाती हिन्दी
देख अपनों का सौतेलापन, 'मीरा' 'निराला' को खोजे हिन्दी
कहीं हफ्तों उपवास मे है, तो कहीं कहीं रोज़े मे हिन्दी
देख हिन्दी भाषा की ऐसी हालत, मन कुंठित हो जाता है
अपनों ने प्रताड़ित हो किया, फिर कहाँ कोई यश पाता है
संविधान ने भी दिया नहीं, जिसे राष्ट्र भाषा का है स्थान
फिर भी अमर रहे हिंदी हमारी, और हमारा हिन्दुस्तान
Awsm👍
ReplyDeleteशुक्रिया 👍
DeleteVery nice.... Simple and impressive poetry
ReplyDeleteWow❤
ReplyDeleteThanks
Deleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 26 जनवरी 2022 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
अथ स्वागतम् शुभ स्वागतम्
बहुत-बहुत आभार आपका
DeleteAwsm Bhaiya...
ReplyDeleteThank you bainu
Deleteबहुत ही उम्दा व शानदार!
ReplyDeleteहिन्दी ही है जो हम सबको आपस में जोड़ कर रखे हुए है आज हिन्दी की बदौलत ही हम एक दूसरे को जानते हैं और उनके भावनाओं महसूस करते व समझ सकते हैं अलग अलग राज्य से होने के बाद भी!
बिल्कुल सही कहा मनीषा जी आपने, ब्लॉग पे पधारने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार
DeleteNice dear but bhejte rho ase hi 👍
ReplyDeleteThank you so much
DeleteThank you so much
ReplyDeleteहिंदी को परिभाषित करती बहुत उम्दा रचना 👌👌
ReplyDeleteबहुत-बहुत आभार Mam.
Deleteदेख हिन्दी भाषा की ऐसी हालत, मन कुंठित हो जाता है
ReplyDeleteअपनों ने प्रताड़ित हो किया, फिर कहाँ कोई यश पाता है
संविधान ने भी दिया नहीं, जिसे राष्ट्र भाषा का है स्थान
फिर भी अमर रहे हिंदी हमारी, और हमारा हिन्दुस्तान ///
प्रिय हरीश जी, बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति है अपनी मातृभाषा और राजभाषा हिंदी के प्रति। बहुत मर्मान्तक है ये प्रश्न कि आख़िर हिन्दी आज राष्ट्रभाषा ज्यों न बन सकी?
पर यही कहूंगी कि विश्वपटल पर और सोशल मीडिया पर हिन्दी के वारे न्यारे है। प्रताड़ित हो कर भी वह अपने प्रगति पथ पर निरंतर अग्रसर है। जय हिन्द जय हिन्दी। आपको गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।
बहुत बहुत आभार Mam. आपको भी गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
DeleteWow❤️
ReplyDeleteThank you so much
Deleteबहुत ही सुन्दर और सार्थक रचना
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
बहुत-बहुत धन्यवाद आपको भी गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
DeleteBahut sundar
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteहिन्दी भाषा के महत्त्व को बाखूबी समझाती सुन्दर रचना ...
ReplyDeleteलाजवाब ...
बहुत-बहुत आभार महोदय
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