बहुत याद आते है वो दिन
वो प्राईमरी की कक्षाएं,
वो जूनियर की यादें
वो हाई स्कूल की यारी
और पेपरों की तैयारी|
वो इंटर की बचकानी बातें
वो प्रिन्सिपल से डर
वो स्कूल से ट्यूशन
और ट्यूशन से घर|
वो कॉलेज के लेक्चर
वो कैन्टीन की चाय
वो बिल के लिए बहस
और बेवजह की लड़ाई|
वो नोट्स की शेयरिंग (Sharing)
वो कुछ भी कर जाने वाली डेयरिंग (Daring)
वो वन (One) नाइट फाइट की थ्योरी (Theory)
और पुराने प्रैक्टिकल नोटबुक की चोरी|
वो दोस्तों के साथ वैकेसन (Vacation)
वो फाइनल एक्जाम की टेंशन
वो हास्टल की आखिरी रात
और वो हमेसा टच मे रहने वाली बात|
अब भी भूला नहीं हूँ मैं
वो स्कूल से कालेज तक का सफर
बहुत दोस्त मिले कुछ बिछड़ भी गए
बस इन्हीं यादों के सहारे
कर रहा हूं जिंदगी की गुजर बसर...
शुक्रिया दोस्तों
Suprb👏👏👏
ReplyDeleteशुक्रिया...
ReplyDeleteवाह...! बेहतरीन रचनाओं में एक यह रचना.... कुछ ही क्षण में प्राथमिक विद्यालय से लेकर महाविद्यालय छूटने तक के सफर की अनगिनत स्मृतियों की एक आभासी फिल्म दिखाने में सक्षम है। 👍👍
ReplyDeleteबहुत-बहुत आभार
Deleteधन्यवाद गुरुजी 🙏
ReplyDelete
ReplyDeleteजी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(३०-०४ -२०२२ ) को
'मैंने जो बून्द बोई है आशा की' (चर्चा अंक-४४१६) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
बहुत-बहुत आभार आपका
Deleteशुक्रिया 🙏
ReplyDeleteक्या बात है प्रिय हरीश जी।क्स्कूल और कालेज की यादें कब दिल से दूर जा सकती हैं? ये तो साँसों में बसती हैं ताउम्र 👌👌
ReplyDeleteसही कहा mam आपने... ऐसे ही कुछ अपने अनुभव सांझा करने का प्रयास किया है मैंने
Deleteवह! बहुत ही प्यारी रचना! सच में स्कूल के दिन जिंदगी के सबसे खूबसूरत दिन होतें हैं!
ReplyDeleteजिसे हम बारबार जीना चाहतें हैं! जिसे याद करते ही लबों पर मुस्कान बिखर जाती है!
शुक्रिया
ReplyDelete