Wednesday, August 25, 2021

कवि बनने के लिए आपका पहला कदम....

कवि बनने के लिए पहला कदम क्या है?  

आपको लगता है कि यह "लिखना" होगा, लेकिन ऐसा नहीं है।  अन्य कवियों से बात करते हुए और कवि बनने की प्रक्रिया के बारे में जो मुझे पता चला है कि नए कवियों के लिए सबसे बड़ी बाधा यह है कि वे खुद को कवि समझते ही नहीं हैं।  उन्हें यह विश्वास विकसित करने में परेशानी होती है कि वे लिख सकते हैं और फिर भी यह कुछ ऐसा है जो आपको करना है।  जब आपने उस दृढ़ विश्वास को विकसित नहीं किया है, तो यह गुमराह का रास्ता बन जाता है  आप अपने काम को इतना समय और महत्व नहीं दे पाते हैं।  आप खुद को एक कवि के रूप में कैसे सोचते हैं, खासकर जब आप एक लेखक के रूप में तनख्वाह नहीं कमा रहे हैं?  

क्या होता है जब आप लिखते हैं? 

यदि आप एक लेखक बनना चाहते हैं, तो मुझे लगता है कि आपके पास कहने के लिए कुछ है और इसे कहने की तीव्र इच्छा है। आप यह नहीं जानते कि आप इसे कैसे कहें या किस रूप में (कविता, उपन्यास, निबंध, आदि) लेकिन आप जानते हैं कि कुछ है। ठीक है, आप अपनी पेंसिल या पेन उठाएं या आप अपने कंप्यूटर या टाइपराइटर के पास बैठ जाएं। आप जो कुछ भी लिखते हैं, बस यह सुनिश्चित करें कि उसमें आपका दिल है। यह साफ-सुथरा होना जरूरी नहीं है।  इसे अभिव्यंजक होना चाहिए।

बिना किसी संकोच के आपको यह लेख किसी को दिखाना होगा।  यह एक दोस्त हो सकता है, यह परिवार का सदस्य हो सकता है।  फिर ध्यान दें कि क्या होता है।  क्या आपकी लेखनी पढ़ने से व्यक्ति रोया, हंसा या गुस्सा हुआ?  यदि ऐसा हुआ, तो आपने ऐसा किया!  इसका मतलब है कि आप अपने लेखन से प्रभावित हो सकते हैं।  यह कुछ लायक है।  आपको लिखते रहना है!

मौन व ध्यान का प्रयोग करें

यदि आपको यह सोचने में परेशानी हो रही है कि आपको क्या कहना है, तो यह आपको प्रत्येक दिन मौन में कुछ समय बिताना मदद कर सकता है।  कुछ लेखक प्रार्थना करते हैं।  कुछ ध्यान करते हैं।  विचार यह है कि अपने मस्तिष्क को साफ़ करने और अपनी आंतरिक आवाज़ में सुनने की आदत डालें।  आप अपने दिमाग मे चलने वाले छोटे छोटे भावो से अधिक जागरूक होंगे जो बाद में बड़े विचारों में विकसित हो सकते हैं।

आप क्या लिखना चाहते हैं? 

चलो ठीक है अगर आप नहीं जानते कि आप किस बारे में लिखना चाहते हैं।  आपको यह जानने में लंबा समय लग सकता है कि आपके लिए क्या उचित है। उस विधा को खोजने में अधिक समय लग सकता है जो आपको सबसे अच्छा लगता है। पहले मैं निबंध से लंबी-चौड़ी पत्र लेखन करता था।  ऐसा करने में मुझे बहुत समय लग गए।  इसका मतलब यह नहीं है कि मैं उन शैलियों में कुछ और नहीं करूंगा, लेकिन मैं अभी कविता लेखन कर रहा हूं वह बिल्कुल फिट बैठता है।  मैं आपको तब तक प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित करता हूं जब तक कि आपको वह विधा न मिल जाए जो आपके लेखन के लिए सबसे उपयुक्त हो |

अपने आप को लगातार याद दिलाएं कि आप लेखक है

जैसा ही आप अपने विश्वास को विकसित करते हैं कि आप एक लेखक हैं, यह आयाम तय करने में सहायक होता है जो आपको उस माहौल तक ले जाएगा जो आपको लिखने के लिए आवश्यक है।  जब आप लिखने बैठते हैं तो विचलित होना आसान हो जाता है और अन्य काम या खाने के बारे में सोचना शुरू हो जाता है।  आप चाहते हैं कि आपके डेस्क पर या आपके सामने दीवार पर कुछ ऐसा हो जो आपको यह याद दिलाए कि आप एक लेखक हैं।


आपको किस दुनिया में रहने की ज़रूरत है? वहाँ तक पहुँचने के लिए आप जो यात्रा करेंगे, वह एक लेखक के रूप में आपके द्वारा की जाने वाली कई यात्राओं में से एक होगी।  मुझे उम्मीद है कि ये विचार आपको पहला कदम उठाने में मदद करेंगे।  आप क्या लिखते हैं - और आप यहाँ से कहाँ जाते हैं - पूरी तरह से आप पर निर्भर है

       धन्यवाद

                                                  (हैरी) 

Sunday, August 15, 2021

ये देश रहना चाहिए

जब तक गंगा यमुना मे जल है
जब तक हवा मे शीतल है
जब तक चिडियों की कलकल है
हर नस मे देशप्रेम बहना चाहिए
मैं रहूं या ना रहूं ये देश रहना चाहिए

जब तक बाजुओं मे बल है
जब तक सांसो मे हलचल है
जब तक अंतर्मन मे दंगल है
ना जुर्म कोई सहना चाहिए
मैं रहूं या ना रहूं ये देश रहना चाहिए

जब तक धरती पे जंगल है
जब तक सूर्य चंद्र और मंगल है
जब तक खेत किसान और हल है
दुश्मन का हर गुरूर ढहना चाहिए
मैं रहूं या ना रहूं ये देश रहना चाहिए

जब तक सरहद मे सेना दल है 
जब तक कांटे और कमल है 
जब तक विश्वास अटल है 
बस जय हिंद कहना चाहिए 
मैं रहूं या ना रहूं ये देश रहना चाहिए 

जब तक राग द्वेष ना मन मे छल है 
जब तक विचार निर्मल है 
जब तक धरा मे भू पटल है 
बस देशप्रेम ही गहना चाहिए 
मैं रहूं या ना रहूं ये देश रहना चाहिए 
                         Kumar Harris 

Saturday, June 5, 2021

विश्व पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

आओ आज एक पेड़ लगाये
अपनी धरा को खुशहाल बनाए
धरा पे जब होगी हरियाली
चारों तरफ होगी खुशहाली

माँ धरती सदा देती है आयी 
अब हम भी कुछ करते हैं अर्पण
पूर्ण भाव से तहेदिल से 
करते है कुछ हम भी समर्पण 

धरती माँ का उपकार कोई 
किसी हाल मे सकता ना चुका 
अपने ही संकट से निपटने को 
उठ खड़ा हो और एक पेड़ लगा 

#happy_environment_day

Saturday, May 8, 2021

"हाँ मैं एक मजदूर हूँ"



घर छोड़ा,परिवार छोड़ा,
छोड़ के अपने गाँव को
भाई बहिनों का साथ छोड़ा और
उस पीपल की छाँव को
माँ के  हाथ का खाना छोड़
हर खुशी को तरसता जरूर हूँ 
हाँ, मैं एक मजदूर हूँ.... 

चंद रुपया कमाने के खातिर
और भरपेट खाने को
बहुत पीछे छोड़ आया हूँ
अपने खुशियों के जमाने को
कुछ कमाने तो लग गया हूँ मगर
 घर से बहुत दूर हूँ 
हाँ, मैं एक मजदूर हूँ... 

किसको अच्छा लगता है साहब
 अपनों से बिछड़ने मे 
मीलों दूर परदेश मे रहकर
खुद ही किस्मत से लड़ने में 
कहीं हालातों का मारा हूँ
कभी भूख से मजबूर हूँ 
 हाँ, मैं एक मजदूर हूँ...

बेहद बेबस कर देती है,
भूख मुझसे बेचारों को
वरना दूर कभी न भेजती 
माँ अपनी आंखों के तारों को
हारा नहीं हूँ अभी भी मैं
हौसले से भरपूर हूँ 
कई दिनो का भूखा प्यासा 
हाँ, मैं एक मजदूर हूँ....

Monday, April 19, 2021

तुम मेरे लिए एक पहेली हो....

मै हूँ खुली किताब सा तेरे लिए 
तुम मेरे लिए एक पहेली हो
मै वीरान कोई मकान पुराना
तुम एक अलीशान हवेली हो

मै बंजर जमीं का टुकड़ा सा 
तुम खेत खुले हरियाली हो
मै मुरझा एक टूटा पत्ता सा 
तुम कलियो की लाली हो

मैं बूंद बूंद बहता पानी
तुम सागर अपरम्पार हो 
मै धरा का एक हिस्सा मात्र 
तुम सारा ही संसार हो 

तुमसे ही हर रिश्ता है जग मे 
मैं उस रिश्ते की डोर हूं 
तुम शीतल चांद हो गगन की 
मैं तुमको तकता चकोर हूँ 

मै भोर का हूँ एक डूबता तारा 
तुम प्रकाश दिनकर के हो 
मै एक अभिशाप सा हूँ धरती पर 
तुम वरदान ईश्वर के हो..... 

Tuesday, April 6, 2021

दो गज दूरी....

हक मे हवायें चल नहीं रहीं 
प्रकृति भी रुख रही बदल 
फैल रहा रिपु अंजान अनिल संग 
घर से तू ना बाहर निकल 

कर पालन हर मापदंड का
जिसे सरकारों ने किया है तय 
बना लो दूरियां दरमियाँ कुछ दिन 
पास आने से संक्रमण का है भय 

पहनो मास्क रखो सफाई भी 
हाथों को भी नित तुम साफ़ करो
Sanitizer का करके इस्तेमाल
संदेह और भय का त्याग करो 

अपना और अपनों का जीवन
जिद्द मे आकर ना क्षय करो
एकांत या देहांत तुम्हें क्या चाहिए 
ये खुद तुम ही अब तय करो

करके अपने ज़ज्बात पे काबू 
रख दो दो गज की दूरी 
अगर बचना है इस महामारी से 
तो मास्क पहनना है जरूरी |
                              (हैरी)