हाँ है वो मेरे लिए खास
बेवजह खुश कभी बेवजह उदास
न दूरियाँ है दरमियाँ, न मिलन की है आस
न साथ मेरे रहती है फिर भी है आसपास
हाँ है वो मेरे लिए खास
कभी गुस्से मे मुँह फूला ले
कभी दुनियां तमाम का प्यार लुटा दे
कभी दिल के इमौज़ी संग संजोए नाम
कभी नंबर ही हटा दे
वो अजनबी है नहीं पल पल दिलाती है एहसास
हाँ है वो मेरे लिए खास
कभी उसकी नादानी मुझे
बचपन अपना याद दिलाते हैं
उसकी हंसी और गालों मे डिम्पल
ग़म जहान के सारे भुलाते हैं
रहती है कोशिश वो कभी, न हो मेरे हरकतों से निराश
हाँ है वो मेरे लिए खास
वो सच्ची है सोने सी खरी
वो साथी सखा राधा से बढ़कर
वो ग़म अपना छुपाना चाहती है
पर आंसू गिरते पलकों पे चढकर
जितना खुश वो मिलन से है, उतनी ही बिछड़ने से हताश
हाँ है वो मेरे लिए खास
संग साथ जो गुज़रे है वो
लम्हे ताउम्र रहेंगे साथ
शायद कल छूट जाए दामन
कैसे संभालेंगे ज़ज्बात
अब हमारे इस बेनाम रिश्ते का, गवाह होगा इतिहास
हाँ है वो मेरे लिए खास,
हाँ है वो मेरे लिए खास.....