Sunday, August 1, 2021
Saturday, June 5, 2021
विश्व पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
आओ आज एक पेड़ लगाये
अपनी धरा को खुशहाल बनाए
धरा पे जब होगी हरियाली
चारों तरफ होगी खुशहाली
माँ धरती सदा देती है आयी
अब हम भी कुछ करते हैं अर्पण
पूर्ण भाव से तहेदिल से
करते है कुछ हम भी समर्पण
धरती माँ का उपकार कोई
किसी हाल मे सकता ना चुका
अपने ही संकट से निपटने को
उठ खड़ा हो और एक पेड़ लगा
Saturday, May 8, 2021
"हाँ मैं एक मजदूर हूँ"
घर छोड़ा,परिवार छोड़ा,
छोड़ के अपने गाँव को
भाई बहिनों का साथ छोड़ा और
उस पीपल की छाँव को
माँ के हाथ का खाना छोड़
हर खुशी को तरसता जरूर हूँ
हाँ, मैं एक मजदूर हूँ....
चंद रुपया कमाने के खातिर
और भरपेट खाने को
बहुत पीछे छोड़ आया हूँ
अपने खुशियों के जमाने को
कुछ कमाने तो लग गया हूँ मगर
घर से बहुत दूर हूँ
हाँ, मैं एक मजदूर हूँ...
किसको अच्छा लगता है साहब
अपनों से बिछड़ने मे
मीलों दूर परदेश मे रहकर
खुद ही किस्मत से लड़ने में
कहीं हालातों का मारा हूँ
कभी भूख से मजबूर हूँ
हाँ, मैं एक मजदूर हूँ...
बेहद बेबस कर देती है,
भूख मुझसे बेचारों को
वरना दूर कभी न भेजती
माँ अपनी आंखों के तारों को
हारा नहीं हूँ अभी भी मैं
हौसले से भरपूर हूँ
कई दिनो का भूखा प्यासा
हाँ, मैं एक मजदूर हूँ....
Monday, April 19, 2021
तुम मेरे लिए एक पहेली हो....
मै हूँ खुली किताब सा तेरे लिए
तुम मेरे लिए एक पहेली हो
मै वीरान कोई मकान पुराना
तुम एक अलीशान हवेली हो
मै बंजर जमीं का टुकड़ा सा
तुम खेत खुले हरियाली हो
मै मुरझा एक टूटा पत्ता सा
तुम कलियो की लाली हो
मैं बूंद बूंद बहता पानी
तुम सागर अपरम्पार हो
मै धरा का एक हिस्सा मात्र
तुम सारा ही संसार हो
तुमसे ही हर रिश्ता है जग मे
मैं उस रिश्ते की डोर हूं
तुम शीतल चांद हो गगन की
मैं तुमको तकता चकोर हूँ
मै भोर का हूँ एक डूबता तारा
तुम प्रकाश दिनकर के हो
मै एक अभिशाप सा हूँ धरती पर
तुम वरदान ईश्वर के हो.....
Tuesday, April 6, 2021
दो गज दूरी....
हक मे हवायें चल नहीं रहीं
प्रकृति भी रुख रही बदल
फैल रहा रिपु अंजान अनिल संग
घर से तू ना बाहर निकल
कर पालन हर मापदंड का
जिसे सरकारों ने किया है तय
बना लो दूरियां दरमियाँ कुछ दिन
पास आने से संक्रमण का है भय
पहनो मास्क रखो सफाई भी
हाथों को भी नित तुम साफ़ करो
Sanitizer का करके इस्तेमाल
संदेह और भय का त्याग करो
अपना और अपनों का जीवन
जिद्द मे आकर ना क्षय करो
एकांत या देहांत तुम्हें क्या चाहिए
ये खुद तुम ही अब तय करो
करके अपने ज़ज्बात पे काबू
रख दो दो गज की दूरी
अगर बचना है इस महामारी से
तो मास्क पहनना है जरूरी |
(हैरी)
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हया भी कोई चीज होती है अधोवस्त्र एक सीमा तक ही ठीक होती है संस्कार नहीं कहते तुम नुमाइश करो जिस्म की पूर्ण परिधान आद्य नहीं तहजीब होती है ...