Tuesday, March 23, 2021

"अमर सपूत"


ऐ धरती के अमर सपूत
तुझ बिन आँखे पथराई हैं
मातृभूमि पे तू हुआ निसार
असहनीय तेरी जुदाई है

परमवीर और अदम्य साहसी
तू सच्चा मातृभूमि का रखवाला था
माना जननी जन्मभूमि है सबसे पहले 
नौ माह मैंने भी तुझे पाला था

एक माँ की रक्षा के खातिर
एक माँ का सूना संसार किया
लौट आया तिरंगे मे लिपटकर 
शोकाकुल अपना घर बार किया

एक वो दिन था जब आस सदा
आने की तेरी रहती थी
मिल के फिर तुझको सहलाऊँगी
इस आस मे दूरी सहती थी

अब गया तू ऐसे छोड़ मुझे
शायद कभी ना मिल पाऊँगी 
कल तक मेरा "बेटा" था तू 
अब "माँ" मैं तेरी कहलाऊँगी 

पहचान मुझे दे गया नई 
तू होकर अमर इतिहास मे 
धन्य मेरी कर गया कोख को 
सदा अमर रहेगा तू जनमानस के एहसास मे |
                                             *जय हिंद*
           

24 comments:

  1. Heart touching poetry����

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  2. ऐ धरती के अमर सपूत
    तुझ बिन आँखे पथराई हैं
    तू मातृभूमि पे हुआ निसार
    असहनीय तेरी जुदाई है
    हृदयस्पर्शी सृजन ।शहीद भगत सिंह एवं सभी अमर शहीदों को शत शत नमन ।

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  3. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 24 मार्च 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. आपका बहुत बहुत आभार गुरुजी... बस आपसे ही सीखने का प्रयास कर रहा हूं

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  5. अब गया तू ऐसे छोड़ मुझे
    शायद कभी ना मिल पाऊँगी
    कल तक मेरा "बेटा" था तू
    अब "माँ" मैं तेरी कहलाऊँगी
    बहुत भावभीनी प्रस्तुति ।।

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  6. अब गया तू ऐसे छोड़ मुझे
    शायद कभी ना मिल पाऊँगी
    कल तक मेरा "बेटा" था तू
    अब "माँ" मैं तेरी कहलाऊँगी
    बहुत ही भावपूर्ण लिखा आपने हरीश जी | सच में भगत सिंह और एनी शहीदों जैसे अमर बलिदानी बेटे हर माँ को नसीब नहीं होते | शहीदों के लिए आपके उदगार वन्दनीय है | वो कलम सार्थक होती है जो वीरों की विरुदावली रचती है | उनके यशोगान कवि का परम सौभाग्य है | सस्नेह शुभकामनाएं | लिखते रहिये |

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    1. जय हिंद जय हिंद की सेना

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    1. शुक्रिया मेरे ब्लॉग पर पधारने के लिए

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  9. मेरे पास आपकी इस रचना के लिए सिर्फ एक ही शब्द है और वो है निशब्द!
    साधुवाद🙏🙏🙏🙏

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    1. बहुत बहुत आभार मनीषा जी

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