Sunday, September 7, 2025

CPR दे रहे हैं....

 

वो जो कहते थे सांसे थम जायेंगी तुमसे बिछड़ कर
सुना है किसी और को CPR दे रहे हैं

तुम हो तुम थे और तुम्हीं रहोगे कहने वाले
किसी और को प्यार बेशुमार दे रहे हैं

किस हद तक देखना पड़ेगा दुनियां का ये दोगलापन
बेवफा लोग आजकल वफा पे ज्ञान यार दे रहे हैं

हमसे हर बात पर तकरार करने वाले,
अब खुलेआम लोगों को उधार दे रहे हैं


बंद कमरे मे एकांत वास हो जाते थे जो घंटों तक
हमसे दूरी क्या बड़ी सबको समय बार बार दे रहे हैं

चेहरे पे नकाब है या नक़ाब मे चेहरा
लगता है ऐसे लोगों को तवज्जो हम भी बेकार दे रहे हैं

16 comments:

  1. Wah wah taliyaaaaaaa👏

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  2. ☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️

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  3. शानदार शायरी.... good sir

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  4. यार, ये शेर पढ़कर तो सीधा हँसी भी आई और दिल में कसक भी जगी। आपने जिस अंदाज़ में धोखे और दिखावे को उधेड़ा है, वो बहुत ही चुभता हुआ सच है। "CPR" वाली लाइन तो गज़ब तंज है, सीधे दिल पर लगती है। रिश्तों की सच्चाई यही है कि जो लोग कल तक हमारी धड़कनों से जुड़े थे, वही आज किसी और को अपना वक्त, प्यार और ध्यान बाँट रहे हैं।

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  5. वाह्ह वाह्ह... एक से बढ़कर एक बढ़िया शेर... सुंदर गज़लः
    सादर।
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    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना मंगलवार 9 सितंबर २०२५ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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    1. बहुत बहुत आभार महोदया 🙏

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