देख कर लोकसभा का परिणाम
मन बहुत ही खिन्न हो गया
वो तो संगठित रहे पूरे जुनून से
मगर हिन्दू छिन्न भिन्न हो गया
जो सत्य सनातन का सारथी बना
उसके साथ ही बहुत बड़ा छल हो गया
जिनसे हर हाथ को दिया नयी ताकत
वो ही असहाय और निर्बल हो गया
जिसने प्रभु श्रीराम का मंदिर बनवाया
वह बहुमत भी ना पा पाया
हुए सफल राम का अस्तित्व पूछने वाले
हाय ये कैसा कलयुग आया
हिन्दू अपनी इसी भूल के वजह से
इतिहास मे भी कई बार हारा है
जिसको ये समझ रहे नया सवेरा
ये भूल डुबाने वाली दुबारा है
बहुत दुखी होंगे लखन और हनुमान
मन कुंठित प्रभु श्रीराम का भी होगा
जिन्होंने निर्बल किए है हाथ सनातन के
क्या उनको एहसास अंजाम का भी होगा?
सब भूल गए संदेशखाली और पालघर
क्या याद नहीं ओवैसी के मंसूबे
तुम एक को हटाने के खातिर
पूरे राष्ट्र को ही ले डूबे
बहकावे मे आकर गैरों के
तुमने ये कैसा कृत्य कर डाला
सिंचित कर दिया विष व्यापत तनों को
और खुद के जड़ों को ही जला डाला ||
Written by HARISH