Friday, July 11, 2025

छलावा : The Beautiful illusion


 अति ऐतबार भी रिश्तों को अक्सर डूबा देता है 

लगी हो आग जिंदगी में तो पत्ता- पत्ता हवा देता है

लिहाज़ रखते- रखते रिश्ते का बेहिसाब लुटे हम

ज़ख्म नासूर बना हो तो मरहम भी सजा देता है

 

ख्याल आया है फिर ख्वाहिशों में रहने वाले का

और याद भी आया है तिरस्कार, झूठे हवाले का

हमें तो जूठन भी लज़ीज़ लगा करती थी उसकी 

 देना पड़ा हिसाब उसे ही एक -एक निवाले का


पाया था उसे अपना सबकुछ गवारा करके 

हमीं से ही बैठा है नासमझ किनारा करके 

उससे बिछड़ने का ख़्याल भी बिखरा देता था हमें 

चल दिया है आज हमें वह बेसहारा करके 


डूबना ही गर मुकद्दर है, तो डूबा ले पानी 

हम तो चुल्लू में डूबने से हो बैठे हैं नामी 

उसकी तो निगाहें भी काफ़ी थीं हमें डुबाने को...

जाने क्यों झूठ की उसे लानी पड़ी होगी सुनामी


34 comments:

  1. Bahut sundar rachna .... Kabiletarif

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    1. बहुत बहुत आभार गुरुजी 🙏

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  3. बेहतरीन व्याख्या है 🍁

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  4. 👏👏👏👏

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  5. 👏👏👏👏

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  6. Behtrin 😍😍

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  7. जाने क्यों झूठ की उसे लानी पड़ी होगी सुनामी ....... वाह, वाह
    अति सुन्दर 🤩

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  8. Bahut sundar lines likhi h... 💫💫

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  9. इसीलिए कहा है समझदारों ने कि आँख खोलकर चलना चाहिए जमाने में

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    1. फूँक फूँक कर चलने वालों से भी कभी कभी गलती हो ही जाती है, अक्सर इस मोड़ पे आकर समझदारी भी धरी की धरी रह जाती है तभी तो छलावा कहा है इसे

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  10. Amazing Lines..💗☺️

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  11. मर्मस्पर्शी सृजन ।

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  12. छलावे के जख़्मों पर एक शानदार रचना..वाह हरीश जी

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  13. बेहतरीन रचना

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  14. अति ऐतबार भी रिश्तों को अक्सर डूबा देता है
    लगी हो आग जिंदगी में तो पत्ता- पत्ता हवा देता है
    बहुत सटीक...
    लाजवाब सृजन
    वाह!!!

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  15. बहुत खूब ... सार्थक रचना ...

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया महोदय 🙏

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